Mahamana Madan Mohan Malaviya

Mahamana Madan Mohan Malaviya
Speeches & Writings

भारतीय-राष्ट्रीय महासभा (कांग्रेस)

फैजपुर अधिवेशन, १९३६ में भाषण

 

२८ दिसम्बर सन १९३६ ई० को पण्डित जवाहर लाल नेहरू के सभापतित्व में कांग्रेस के इक्यानवे अधिवेशन, फैजपुर में श्री राजेंद्र बाबू के "राष्ट्रीय सरकार और चुनाव" सम्बन्धी प्रस्ताव का ओजस्वी शब्दों में समर्थन करते हुए पूज्य मालवीय जी का भाषण I

 

सभापति महोदय, देवियों और सज्जनों!

 

आप पूछेंगे कि हमें यह नया शासन-विधान क्यों अस्वीकार करना चाहिए? इसका स्पष्ट उत्तर यह है कि हम शासन-विधान से स्वराज्य नहीं प्राप्त कर सकते I इससे स्वतंत्रता तो मिलती ही नहीं, बल्कि उलटे हमारी बची हुई स्वतंत्रता भी छिन जाती है I जब तक अंग्रेज भारत में हैं, तब तक वे अपना ही भला देखेंगे, भारत का नहीं I यदि कोई निष्पक्ष होकर विचार करे तो पता चलेगा कि अंग्रेजी शासन को दृढं कारण एके लिए यह शासन-विधान भारत के ऊपर बलपूर्वक लादा गया है I गत पचास वर्षों से हम लोग चिल्ला रहे हैं कि हमें अपने देश का शासन-प्रबंध करने दो I सारा संसार इस बात का साक्षी है I भारतवर्ष संसार के बहुत बड़े देशों में से है I उसका गौरवमय अतीत तो देखिये, क्या कोई उसके उज्जवल अतीत पर संदेह कर सकता है? किन्तु उसी भारत के भविष्य यहाँ से छः हजार मील दूर बैठी ब्रिटिश पार्लियामेंट निर्णय करती है I ब्रिटेन ने अनेक बार कहा है कि भारतवर्ष भारतीयों कि राय से शासित होगा, किन्तु किसी भी अवसर पर ब्रिटेन ने ब्रिटेन ने भारतीयों की सलाह नहीं ली I

 

अंग्रेजी राज्य असहय है

 

हम अंग्रेजी राज्य सहन नहीं कर सकते I हम अपना शासन अपने आप कर सकते हैं, और अब भी हमारी शासन करने की शक्ति क्षीण नहीं हो गई है, जो हमारे पूर्वजों में थी I संसार के सभी देशों ने, यहाँ तक कि मिश्र ने भी स्वतंत्रता प्राप्त कर ली है, किन्तु क्या कोई भारतीय ऐसा है जिसका ह्रदय भारतवर्ष की वर्तमान दुर्दशा को देखकर बार-बार रोता हो? इतना सामर्थ्य और बुद्धि होते हुए भी हम लोग अंग्रेजों के गुलाम हैं, क्या हमें लज्जा नहीं आती? अंग्रेज लोग कहते हैं कि इस ऐक्ट से दस वर्ष तक काम चलाओ, फिर हम तुम्हें दूसरी किस्त देंगे I क्या हम इसे सहन कर सकते है? मुझे विश्वास है कि जब तक हम ब्रिटिश पार्लियामेंट के अधीन रहेंगे, तब तक हम औपनिवेशिक स्वराज्य का या अन्य अधिकार नहीं पा सकते I

 

आप देखो तो दूसरे स्वतंत्र देशों में क्या हो रहा है? जापान को देखो, सारा संसार उसका सम्मान करता है I दूसरे देश भी स्वतंत्र हो गये हैं, जो मरे गिरे थे I मुझे तो बड़ा दुःख हो रहा है I स्वतंत्र होना हमारा अधिकार है I चाहे अंग्रेजी राज्य भारत में स्वर्ग-सुख भी दे, फिर भी हम उसे सहन नहीं कर सकते I हम अवश्य स्वराज्य लेंगे I जो लोग अभिमानी हैं और जो स्वेच्छाचारी हैं, वे भारत के इस निश्चय को नहीं समझ सकते I केवल अंग्रेज ही हमारी स्वतंत्र होने की इच्छा को सुकर भयभीत और संशक नहीं हो रहे हैं, बल्कि कुछ भारतीय भी हमारे पूर्ण स्वराज्य के निश्चय को सुनकर घबराते हैं I क्या कोई ऐसा भी हिन्दुस्तानी है, जो यह विचार करता है कि हम स्वंय अपना शासन करें, और स्वतंत्र हों? क्या कोई ऐसा भारतीय है जो यह नहीं चाहता कि हमारी स्थिति भी वैसी हो जैसी कि अंग्रेजों की है?

 

स्वाधीनता की शपथ

 

हम लोगों ने यह निश्चय करना है कि हम लोग तब तक सुख से बैठेंगे, जब तक स्वतंत्रता प्राप्त कर लेंगे I हमें शर्म आनी चाहिए कि हम स्वतंत्र नहीं हैं I यह अत्यंत लज्जा और दुःख कि बात है I इसके लिए यह बड़ी आवश्यकता है कि हम अपने भेद-भाव भूलकर, कंधे-से-कन्धा मिलकर काम करें I हम ब्रिटेन कि मित्रता चाहते हैं I यदि ब्रिटेन हमारी मित्रता चाहता हो तो हम तैयार हैं, किन्तु यदि वह हमें अपने अधीन रखना चाहता हो, तो हम उसकी मित्रता नहीं चाहते I क्या हम सेना-विभाग को अपने नियंत्रण में नहीं रखना चाहते? युद्ध के लिए चारों ओर तैयारियाँ हो रही हैं, जरा उन पर तो ध्यान दीजिए I उन उपायों पर भी ध्यान दीजिए जो अन्य देश अपने देशवासियों कि उन्नति के लिये काम में ला रहे हैं I

 

मैं पचास वर्ष से कांग्रेस के साथ हूँ, सम्भव है मैं बहुत दिन जिऊँ और अपने जी में कसक लेकर मरुँ कि भारत अब भी पराधीन है I किन्तु फिर भी मैं यही आशा करता हूँ कि मैं इस भारत को स्वतंत्र देख सकूंगा I मैं पूछता हूँ कि आप लोगों में से किसानों कि दशा कितने लोग जानते हैं? उनके बच्चों को पेट पर भोजन नहीं मिलता, और तन ढकने को कपडा नहीं मिलता I इनकी सबकी दवा स्वराज्य है I किन्तु मैं पूछता हूँ कि आप लोगों में से कितने स्वराज्य चाहते हैं? क्या आप स्वराज्य चाहते हो? (हाँ-हाँ की चारों ओर से ध्वनि), ठीक है I यह घोष, यह ध्वनि गाँव-गाँव में गूँज जनि चाहिए I सरे भारतवर्ष में केवल एक बार ही नहीं, बल्कि पुरे साल भर यह ध्वनि गूंजती रही चाहिए I

 

हमें कांग्रेस को शक्तिशाली बनाना चाहिए I प्रत्येक, स्त्री ओर बच्चे को देखना ओर समझना चाहिए कि कांग्रेस क्या है? उसका बल बढ़ाने का प्रयत्न करना चाहिए I भारत में सुखी होने के सब साधन मौजूद हैं, किन्तु इसमें एकता नहीं है, इसलिए यह विदेशी शासन के असह्य जुये  के नीचे दबा हुआ है I चाहिए तो यह कि शासन-कार्य में सब जातियाँ एक होकर काम करें I जब तक हमें विदेशी शासन के अधीन होने कि लज्जा नहीं होगी, तब तक हमारी दशा नहीं सुधर सकती I आप स्मरण रक्खो कि अंग्रेज जब तक आपसे डरेंगे नहीं, तब तक यहाँ से नहीं भागेंगे I आप लोगों को ऐसा भय पैदा कर देना चाहिए, तभी ब्रिटिश-सरकार हमारी माँगों का महत्त्व समझेगी और उनको देने के लिये तैयार होगी; किन्तु कांग्रेस कि खुली बैठक में एक दिन के चिल्लाने से काम नहीं चलेगा I हमें पुरे तीन सौ पैंसठ दिन निरंतर प्रयत्न करना पड़ेगा I अपनी कायरता को दूर भगा दो, बहादुर बनो और प्रतिज्ञा करो कि हम आजाद होकर ही दम लेंगे I

 

 

Mahamana Madan Mohan Malaviya