Mahamana Madan Mohan Malaviya

Mahamana Madan Mohan Malaviya
Speeches & Writings

हिन्दू और मुसलमानों में एकता

 

आजकल हिन्दुस्तान में सब ओर उन्नति की पुकार हो रही है, सारे देश में एक हलचल हैपढ़े-लिखे लोग इस चिन्ता में हैं कि कौन ऐसे उपाय किये जायं जिससे हमारे देश की बिगड़ी हुई दशा सुधरे और हम संसार की सभ्य जातियों में प्रतिष्ठा पावेंहर एक आदमी अपने-अपने विचार के अनुसार उपाय बताता हैकोई कहता है कि बिना धर्म के सुधार के देश की उन्नति नहीं हो सकतीकिसी की राय है कि बिना सामाजिक सुधार के हमारी दशा नहीं बदल सकतीउन लोगों का दल बहुत बड़ा है जिनका यह विश्वास है कि बिना राजनैतिक स्वतन्त्रता के हिन्दुस्तान की दशा बदलना कठिन क्या, असम्भव हैहमारी राय में देश और जाति का उद्धार करने के लिए, इसके सुख-सम्पत्ति और प्रतिष्ठा पाने के लिए, सब प्रकार की उन्नति, धर्म-सम्बन्धी, सामाजिक, व्यापार सम्बन्धी और राजनैतिक उन्नति जरुरी हैवे सब एक-दूसरे की सहायक और एक दूसरे का अंग हैसिर्फ एक प्रकार की उन्नति से हम उस स्थान पर नहीं पहुँच सकते हैं, जहाँ हम पहुँचना चाहते हैंइस सब प्रकार की उन्नति के लिए एकता की जरुरत हैलेकिन राजनैतिक और व्यापार-सम्बन्धी उन्नति के लिए हिन्दुस्तान की सब जातियों में परस्पर प्रीती और एकता की बहुत जरुरत हैबिना इसके हमारा मनोरथ पूरा नहीं हो सकताहम लोगों को इस बात को खूब विचार कर अपने-अपने विश्वासों में जमा लेना चाहिए


हिन्दुस्तान में अब केवल ही नहीं बसते हैं- हिन्दुस्तान अब केवल उन्हीं का देश नहीं हैहिन्दुस्तान जैसे हिन्दुओं का प्यारा जन्म-स्थान है, वैसा ही मुसलमानों का भी हैये दोनों जातियाँ अब यहाँ बसती हैं और सदा बसी रहेंगीजितना इन दोनों में परस्पर मेल और एकता बढ़ेगी, उतनी ही देश की उन्नति करने में हमारी शक्ति बढ़ेगी और इनमें जितना ही बैर या विरोध या अनेकता रहेगी, उतने ही हम दुर्बल रहेंगेजब ये दोनों एकता के साथ उन्नति की कोशिश करेगी तभी सब देश की उन्नति होगीइन दोनों जातियों में और भारतवर्ष की सब जातियों-हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, पारसी में सच्ची प्रीती और भाइयों-जैसा स्नेह स्थापित करना हम सबका बड़ा कर्तव्य हैइससे देश का बहुत कल्याण होगाजो हमारी उन्नति नहीं चाहते, वे हमको एक-दूसरे से लड़ाने के लिए यत्न करते हैं और करेंगेलेकिन हमारे आपस में एक-दूसरे के विचार और भाव शुद्ध रहें तो हमारी किसी बैरी को हमको लड़ाने का यत्न सफल होगायह दुःख की बात है कि हम लोगों में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो एक जाति को दूसरे से लड़ाने का यत्न करते हैंहमको इस बात के कहने में कुछ भी संकोच नहीं कि जो हिन्दू या मुसलमान ऐसा करता है, वह देश का शत्रु हैइतना ही नहीं, बल्कि वह अपनी विशेष जाति का भी शत्रु हैहमको सबको उचित है कि सब एक-दूसरे के चित्त को संताप पहुँचाने वाली बीती बातों को भूल जावें, एक दूसरे का हित और सुख के यत्नों में सहायक हों


माननीय मि० गोखले के स्वागत-सत्कार में हिन्दू और मुसलमान जैसे प्रेम और उत्साह से शामिल रहे हैं और उन्होंने उनके वचनों को जिस आदर के साथ सुना है, उसी से यह जाहिर है कि यदि हम शुद्ध भाव से यत्न में लगे रहेंगे तो हिन्दू-मुसलमानों का एक-दूसरे की नासमझी का विरोध मिटकर, उनमें देश और जाति का अभ्युदय करने वाली एकता सदा के लिए कायम हो जायगी


(फाल्गुन-शुक्ल त्रयोदशी, सं० १९६३)

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