|
Speeches & Writings
|
मिण्टो-मॉर्ले सुधार
“इण्डियन रिव्यू” पत्र के सम्पादक की प्रार्थना पर महामना मालवीय जी ने निम्नाकित लेख को १९०८ के दिसम्बर में सुधार-सम्बन्धी लेख-समूह के लिये प्रकाशित होने को भेजा। -सम्पादक
भारत-सरकार तथा भारत-सचिव ने जो सुधार के प्रस्ताव पेश किए हैं, उनके लिये जनता तथा सरकार दोनों को बधाई है। ये सुधार अत्यन्त उदार तथा प्रशंसनीय भावनाओं के फल हैं। उनके व्यवहार में आने पर भारत के उज्ज्वल भविष्य का और एक नवीन युग का प्रारम्भ होगा। इन प्रस्तावों को बनाने में हमारे बड़े लाट महोदय तथा लॉर्ड मॉर्ले ने जिस बुद्धिमत्ता तथा राजनीतिज्ञता-पूर्ण साहस का परिचय दिया है, उसके लिये हम लोग सर्वदा उनके कृतज्ञ रहेंगे। वे हमारे इसलिये भी धन्यवाद के पात्र हैं कि उन्होंने हन सुधारों के विषय में जनता के मत-प्रकाश तथा उसमें आवश्यक परामर्श देने के लिये भी सुअवसर प्रदान किए हैं।
मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि ये सुधार अपना वास्तविक स्वरूप प्राप्त करने के पहले और भी अधिक उदार तथा लाभदायक बनाए जायेंगे। सरकार मुख्यत: इसलिये धन्यवाद की पात्र है कि उसने प्रान्तीय सभाओं में गैर-सरकारी सदस्यों की बहुसंख्यता प्रदान करने का निर्णय किया है। मुझे यही कहना है कि उन्हें बड़ी व्यवस्थापिका सभा के विषय में भी इसी पथ का अनुसरण करना चाहिए था। ऐसा करना सभी प्रकार से उचित और बुद्धि-सन्गत होगा। यदि अभी इसको कुछ काल के लिये स्थगित भी कर दिया जाय, तो कम-से-कम वाइसराय महोदय को प्रस्ताव तो अवश्य ही स्वीकार कर लेना चाहिए किउनकी सभा में भी उतनी ही संख्या में सरकारी तथा गैर-सरकारी सदस्यों की नियुक्ति हो सके।
सुधारों की प्रस्तावना, काँग्रेस आन्दोलन को दूसरी विजय है। प्रथम विजय सन् १८९२ के इण्डियन कौन्सिल एक्ट पास होने के अवसर पर हुई थी। |
||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
ईश्वर