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महामना मालवीय मिशन (1978-2014) युग प्रवर्तक, महामानव पं० मदनमोहन मालवीय के धूमिल होते हुए आदर्शों, जीवन मूल्यों के पुनः संस्थापन के लिए नयी दिल्ली में वर्ष प्रतिपदा 9 अप्रैल 1978 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के राष्ट्रीय सम्मलेन में महामना मालवीय मिशन का जन्म हुआ I
इस सम्मलेन में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित हुए-
"महामना पं० मदन मोहन मालवीय की पुण्य स्मृति से प्रेरित, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों का वर्ष प्रतिपदा 9 अप्रैल 1978 को धर्मभवन, नयी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मलेन निर्णय लेता है कि महामना की प्रेरक स्मृति को चिरस्थायी बनाये रखने, उनके विचारों का प्रचार एवं प्रसार करने तथा राष्ट्र जीवन में उनके द्वारा प्रारम्भ किये गए शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक अभियान को आगे बढ़ाने के लिए महामना मालवीय मिशन की स्थापना की जाए I
"सम्मलेन यह संकल्प लेता है कि महामना मालवीय के जीवन आदर्शों एवं लक्ष्यों को चरितार्थ करने के लिए इस मिशन को एक सशक्त माध्यम के रूप में राष्ट्रीय स्तर पर विकसित किया जाएगा तथा सभी राज्यों एवं प्रमुख स्थानों पर इसकी इकाइयां खोली जाएंगी I"
सम्मलेन ने मिशन के प्रस्तावित संविधान-उद्देश्य एवं कार्यक्रम तथा नियम एवं प्रावधान को अपनी स्वीकृति प्रदान की I
मिशन के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए सम्मलेन में सर्वसम्मति से श्री बालेश्वर अग्रवाल को अध्यक्ष तथा श्री शान्ति स्वरुप चड्ढा को महामन्त्री निर्वाचित किया I अध्यक्ष को यह अधिकार दिया गया कि वह मिशन की कार्यसमिति को गठित करे जिसका स्वरुप सार्वदेशिक हो I
शिक्षा में भारतीयता का अभाव महामना की हिन्दू संस्कृति में अटूट आस्था थी और वे उसके श्रेष्ठतम विचारों और मूल्यों का प्रचार तथा प्रसार चाहते थे I उन्होंने भारत की सासंकृतिक थाती को देखा था, उसकी गौरवपूर्ण परम्पराओं से प्रेरणा ली थी और भारतीय जनमानस में संकल्प, आत्मविश्वास, स्वाभिमान और भारतीयता के प्रति अनुराग पैदा करने का प्रयास किया था I वे युवकों में नैतिक मूल्यों का समावेश कर राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करना चाहते थे I आधुनिक शिक्षा में महामना को भारतीयता का जो अभाव दिखा था, उसकी पूर्ति के लिए ही उन्होंने हिन्दू विश्वविद्यालय की नींव रखी थी I
यह दुर्भाग्य की बात है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद यह अभाव और भी बढ़ गया है I देश में नैतिक मूल्यों का तेजी से ह्यास हुआ है I हमारी पुरानी मान्यताएं टूट रही हैं I वस्तुतः मिशन का जन्म इन्हीं भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का पुनः संस्थापन तथा महामना के सपनों को साकार करने के लिए हुआ है I
उदघाटन एवं पंजीकरण मिशन का विधिवत उदघाटन सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक डा० आत्माराम ने 25 दिसम्बर 1979 को कोंस्टीट्यूशन क्लब में किया I डा० आत्माराम ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों का आहवाहन किया कि वे एक बार फिर महामना के दिखाए आदर्शों की प्राप्ति के लिए जुट जाएं और देश के अन्दर ऐसे वातावरण का निर्माण करें जिससे की महामना के सपनों के भारत का निर्माण हो सके I
सन १९७९ में महामना मालवीय मिशन का सोसायटी के अन्तर्गत विधिवत पंजीकरण हुआ और उसे आयकर की धारा ८०(जी) के अन्तर्गत आयकर में छूट की सुविधा भी मिल गयी I
इन सभी कार्यक्रमों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डा० हरिनारायण का पूरा सहयोग रहा I इस अवसर पर प्रकाशित स्मारिका के लिए प्रधानमन्त्री, रक्षा मन्त्री, हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति के सन्देश, लेख प्राप्त हुए I
25 दिसम्बर 1979 को नयी दिल्ली में मालवीय नगर पार्क में दिल्ली प्रशासन, दिल्ली नगर निगम, हिन्दी साहित्य सम्मलेन तथा मालवीय मिशन की ओर से महामना का 119वाँ जन्म दिवस समारोह मनाया गया जिसमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति डा० हरिनारायण ने महामना मालवीय जी के एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला I बाद में मिशन के कार्यकर्ताओं के साथ मिशन के भावी कार्यक्रम पर विचार विमर्श किया I कुलपति ने विश्वविद्यालय की ओर से मिशन को पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया I
वाराणसी में द्वितीय अधिवेशन महामना मालवीय मिशन का द्वितीय अधिवेशन 11-12 अक्टूबर, 1980 को मालवीय भवन, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी में हुआ I अधिवेशन का उदघाटन कुलाधिपति काशी नरेश डा० विभूति नारायण सिंह के सन्देश से हुआ I अधिवेशन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डा० हरिनारायण ने की I अधिेवशन में लगभग 250 छात्रों, अध्यापकों, महामना प्रेमियों तथा देश के विभिन्न भागों से आये पूर्व छात्रों ने भाग लिया I
अधिवेशन में 'सर्वांगीण ग्रामीण विकास', 'तकनीकी सलाहकार सेवा', 'सांस्कृतिक, धार्मिक साहित्य एवं श्रव्य- दृश्य साधन निर्माण एवं 'पुस्तक बैंक' विषयों पर विचार गोष्ठियों का आयोजन किया गया I
खुले अधिवेशन में स्वागत समिति के अध्यक्ष डा० के. एन. उडुप्पा ने महामना के प्रेरणादायक जीवन पर प्रकाश डालते हुए लोगों से उनके जीवन मार्ग से मार्ग दर्शन लेने की अपील की I महामना की इच्छा थी कि हमारे छात्र प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन करें I उन्होंने कहा कि महामना को पुष्पांजलि देने से ज्यादा महत्व उनके उपदेशों पर चलना है I अधिवेशन के अध्यक्ष कुलपति डा० हरिनारायण ने अपने ओजस्वी भाषण में महामना के जीवन से उनकी निर्भीकता तथा स्वदेश प्रेम को ग्रहण करने का आह्वान किया I उन्होंने ने कहा कि देश की समृद्धि तभी होगी जब हम विघटनात्मक शक्तियों के नियंत्रण के लिए एकजुट होकर रचनात्मक जीवन पद्धति अपनाएं और लोकसंग्रह के कार्य को गति दें I
मिशन के अध्यक्ष श्री बालेश्वर अग्रवाल ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में मालवीय जी के आदर्शों एवं विचारों की समसामयिकता बढ़ गयी है I उन्होंने हर दिशा में मिशन की भूमिका बतायी और उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला I
मिशन की साधारण सभा की बैठक में श्री बालेश्वर अग्रवाल को अध्यक्ष, श्री पन्नालाल जायसवाल को महामन्त्री एवं श्री अम्बरीष गुप्त को कोषाध्यक्ष चुना गया I
संगठन का विस्तार
मिशन के वाराणसी अधिवेशन के विभिन्न भागों में मिशन की शाखाएं खुलने लगी I दिल्ली, वाराणसी के बाद मिशन की तीसरी शाखा का 25 दिसम्बर 1980 को लखनऊ में उदघाटन हुआ I समारोह के मुख्य अतिथि थे एच. ए. एल., लखनऊ के महाप्रबन्धक विंगकमांडर श्री एच. के. सिंहI धीरे-धीरे मिशन की शाखाएं बम्बई, रांची, धनबाद, भिलाई, गाजियाबाद,जगाधरी, अलीगढ, अनपारा, अहमदाबाद, पुणे, हजारीबाग, हैदराबाद तथा देश के अनेक अन्य नगरों में स्थापित हो गयी I
लखनऊ में तृतीय राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का तीसरा राष्ट्रीय अधिवेशन लखनऊ में 9-10 अक्टूबर 1982 को हुआ I यह अधिवेशन अविस्मरणीय रहेगा I इस समारोह की भव्यता को मंच पर कई विभूतियों के एक स्थान पर उपस्थिति ने और भी बढ़ा दिया था I उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री श्रीपति मित्र के अतिरिक्त खाद्य तथा आपूर्ति मंत्री श्री वासुदेव सिंह, हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलाधिपति डा० कर्ण सिंह, डा० शिव मंगल सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डा० रत्न शकेर मिश्र, प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो० गोविन्द वल्लभ पन्त, हिन्दुस्तान एरोनोटिक्स के प्रबन्ध निदेशक श्री एच. के. सिंह मंच पर उपस्थित थे I उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री श्रीपति मिश्र ने अधिवेशन का उदघाटन किया I उन्होंने अपने उदबोधन में देश में बढ़ती हुई पृथक्करण की भावना तथा नैतिक मूल्यों के ह्यास पर चिन्ता व्यक्त की I महामना के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए श्री मिश्र ने कहा कि वे महामानव थे I उनकी दृढ़ता, संकल्प शक्ति अनुकरणीय है I उनका अन्दर बाहर एक रूप था I वे सत्य के पुजारी थे और सच्ची बात साहस से प्रस्तुत करते थे I वे किसी वर्ग विशेष के न होकर सभी के लिए बराबर थे I कर्मकांडी होते हुए भी उन्होंने गंगा तट पर अछूतोद्धार किया, अस्पृश्यों को गले से लगाया और रूढ़िवादियों का साहस से सामना किया I उनके आदर्शों पर चलने से ही देश आगे बढ़ सकेगा I
डा० कर्ण सिंह ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि महामना असाधारण विभूति थे जिन्होनें मानवता की गंगा, राष्ट्रीयता की जमुना एवं सामाजिकता की सरस्वती का अपने कृतित्व में संगम उपस्थित किया I
'सेक्युलेरिज्म' की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सिंगापुर में पांच धर्म के अनुयायी हैं और वहां के स्कूलों में उन्हें अपने धर्म की शिक्षा देने का समुचित प्रबन्ध है I भारत में हमने धर्म निरपेक्षता का अर्थ 'धर्म विहीनता लगाया है I अगर धर्म नहीं, तो जीवन मूल्य, सदाचार कहां से आयेगा I हम बाहर के दुश्मनों का मुकाबला सैन्य शक्ति से कर सकते हैं पर इस आन्तरिक मूल्यहीनता, एवं भ्रष्टाचार जैसे कैंसर का मुकाबला कैसे कर सकेंगे I
प्रो० गोविन्द बल्लभ पन्त ने कहा कि हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों पर महामना की छाप है I हमारे छात्र देश विदेश में उच्च पदों पर आसीन हैं I आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे सभी छात्रों की सूची तैयार की जाए और विश्वविद्यालय की इस छात्र बिरादरी को प्रभाव शक्ति के रूप में संगठित किया जाए I
अधिवेशन में महामना मालवीय वाड्मय प्रकाशित करने, इतिहास की पुस्तकों में महामना के योगदान को समाविष्ट करने, महामना के जन्म दिन पर मालवीय जयन्ती मनाने, महामना के जन्मस्थल 'भारतीय भवन' को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने सम्बन्धी प्रस्ताव स्वीकृत हुए I हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थिति में सुधार लाने पर विचार करने के लिए प्रो० पन्त की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया I
इस अधिवेशन में मिशन की सदस्यता का द्वार उनके लिए भी खोल दिया गया जो विश्वविद्यालय के छात्र नहीं हैं पर महामना के आदर्शों में श्रद्धा रखते हैं और उसके लिए कार्य करने को तैयार हैं I मिशन की नयी शाखाओं को खोलने सम्बन्धी नियमावली इस अधिवेशन में स्वीकृत की गयी I
मिशन की साधारण सभा में आगामी तीन वर्षों (1982-85) के लिए श्री बालेश्वर अग्रवाल को अध्यक्ष, श्री पन्नालाल जायसवाल को महामंत्री तथा श्री अम्बरीष गुप्त को कोषाध्यक्ष चुना गया I
हरिजन विद्यालय का विकास
सन 1982 में लखनऊ शाखा ने 1935 में महात्मा गांधी द्वारा उदयगंज में स्थापित हरिजन पाठशाला को अंगीकृत कर उसके विकास का कार्यक्रम शुरू किया I विद्यालय के जीर्णोद्धार के लिए धन संग्रह कर सन १९८५ नये कमरों का निर्माण तथा क्षतिग्रस्त कमरों की मरम्मत की गयी I विद्यालय के पाठ्यक्रम में भी गुणात्मक परिवर्तन लाने की कोशिश की गयी I गरीब छात्रों की सहायता के लिए पुस्तक बैंक की भी स्थापना की गयी I इसके अतिरिक्त हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स के निकट शेखपुर कसैला ग्राम में मालवीय शिक्षा केंद्र चलाया गया जिसमें बच्चों को निशुल्क शिक्षा के अतिरिक्त उन्हें समय-समय पर गरम कपडे, पुस्तकें, कापी, आदि दी गयी I इन्दिरा नगर में सन 1985 में मिशन की लखनऊ शाखा ने कुष्ठ रोगियों के 15 स्वस्थ बच्चों के लिए महामना बाल निकेतन की स्थापना की जहां उनका लालन पालन और प्रशिक्षण हो रहा है I
मिशन प्रेरित प्रकल्प सन 1982 में मिशन के संस्थापक सदस्य श्री महेश शर्मा ने श्री अशोक भगत तथा अपने अन्य साथियों के साथ आदिवासी क्षेत्र बिशुनपुर जिला गुमला (झारखंड) में विस्तृत सर्वेक्षण कर अगले वर्ष विकास भारती कार्यक्रम प्रारम्भ किया I इसके अन्तर्गत उन्नत कृषि के तरीकों के उपयोग, किसानों को उचित दर पर बीज, खाद, औजार, दवा उपलब्ध कराना, वृक्षारोपण एवं वन संरक्षण, बायोगैस का प्रयोग, कृषियंत्र विकास, अनौपचारिक शिक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षण एवं सरल चिकित्सा, जड़ी बूटियों की खेती, निर्धूम चूल्हा, फल संरक्षण, ग्राम्य संगठन एवं सांस्कृतिक विकास के कार्यक्रम प्रारम्भ किये गये I
सन 1983 में मिशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा० जगमोहन गर्ग ने गाजियाबाद के छिजारसी गांव में ग्राम भारती शिक्षण संस्थान की स्थापना की I इसका मूल उद्देश्य है गावों का सर्वांगीण विकास I ग्रामीण युवकों में आत्म निर्भरता, स्वावलम्बन स्वाभिमान की भावना भरना जिससे वे गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन न करें I ग्राम भारती का शिक्षण कार्यक्रम इन्हीं बातों को ध्यान से रखकर तैयार किया गया है I सन 1985 में ग्राम भारती शिशु मन्दिर प्रारम्भ हो गया I किसी शिक्षण व्यवस्था की सफलता उसके आचार्यों पर निर्भर करती है I अतः ग्राम भारती ने आचार्यों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को प्राथमिकता दी I सामान्य शिक्षा के साथ ग्राम भारती में कृषि, बागबानी एवं गोपालन पर जोर दिया गया है I
भुवनेश्वर में चतुर्थ राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का चौथा राष्ट्रीय अधिवेशन भुवनेश्वर में 12-13 फरवरी 1986 को आयोजित हुआ I अधिवेशन का उदघाटन उड़ीसा के राज्यपाल श्री विश्वम्भरनाथ पांडे ने किया I मुख्य अतिथि थे उड़ीसा के मुख्यमंत्री एवं हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र श्री जानकीवल्लभ पटनाइक I
राज्यपाल श्री विश्वम्भरनाथ पांडेय ने महामना को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान, 1918 में सेन्ट्रल असेम्बली में औद्योगिक नीति पर उनका भाषण, 1931 में हरिजनों के पृथक्करण के लिए 'कम्यूनल एवार्ड' की वापसी, हरिजन सेवक संघ की स्थापना, नोआखाली के दंगों में जिन हिन्दू स्त्रियों के साथ बलात्कार और उनका बलात धर्म परिवर्तन किया गया था, उनकी हिन्दू धर्म में बाइज्जत वापसी जैसे कितने ही मामलों में उनका निर्णय, उनकी महानता को दिग्दर्शित करता है I भारत पर मालवीय जी का ऋण बहुत बड़ा है I मुख्यमंत्री श्री पटनाइक ने भी उनके जीवन के अनेक संस्मरण सुनाये और सभी से हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक उस महातपस्वी के आदर्शों का अनुकरण करने की अपील की I धन्यवाद ज्ञापन दैनिक संवाद के संपादक, अधिवेशन के संयोजक एवं मिशन के मन्त्री श्री सौम्यरंजन पटनाइक ने किया I
इस अवसर पर शिक्षा के माध्यम से नैतिक मूल्यों का पुनः संस्थापन विषय पर विचारगोष्ठी का भी आयोजन किया I गोष्ठी का उदघाटन उड़ीसा के शिक्षा मन्त्री श्री जे. एन. महापात्र ने किया और उसमें मयूरभंज के महाराज श्री पी. के. भंजदेव, प्रो. सी. एस.महापात्र, प्रो. प्यारे लाल मोहन्ती, डा० छत्रपति पटनाइक, एस. सी. इ.आर.,टी. के डायरेक्टर डा० एस. सी. दश, श्री त्रिलोचन मिश्र, श्री हरिहर श एवं श्री बांके बिहारी दास, आदि ने भाग लिया I गोष्ठी के लिए उड़ीसा के भूतपूर्व मुख्य मन्त्री श्री हरेकृष्ण मेहताब का भी विचारोत्तेजक सन्देश प्राप्त हुआ I
मिशन की साधारण सभा की बैठक में मिशन का वार्षिक सदस्यता शुल्क बढ़ाकर 25 रुपया तथा आजीवन सदस्यता शुल्क 250 रुपया कर दिया गया I बैठक में महामना के प्रयाग स्थित जन्म स्थान का अधिग्रहण कर उसे राष्ट्रीय स्मारक के रूप में विकसित करने तथा हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा 1987 में वसन्त पंचमी के दिन पूर्व छात्रों का सम्मेलन आयोजित करने सम्बन्धी प्रस्ताव भी स्वीकृत हुए I अधिवेशन में अगले तीन वर्षों के लिए (1986-87) सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो० गोविन्द बल्लभ पन्त अध्यक्ष, श्री पन्नालाल जायसवाल महामन्त्री तथा श्री अम्बरीष गुप्त कोषाध्यक्ष चुने गये I
15 नवम्बर 1987 को मालवीय मिशन की रांची शाखा की बैठक हुई जिसमें रांची के राजघराने के श्री सहदेव जी, महिला कॉलेज की प्राधानाचार्य श्रीमती प्रसाद, सुप्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता श्री श्रीशंकर तिवारी तथा एच. इ. सी. और मेकॉन के इंजीनियर उपस्थित थे I
इस बैठक में यह निश्चय किया गया कि मालवीय मिशन 'विकास भारती' बिशुनपुर के साथ मिलकर महामना मालवीय बुनियादी ग्राम तकनीकी केन्द्र चलायेगा I इसी बैठक में मिशन का आगामी अधिवेशन रांची में करने के लिए केन्द्र से अनुरोध करने का निर्णय किया गया I
रांची में पाँचवा राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का पाँचवा राष्ट्रीय अधिवेशन 30-31 दिसम्बर 1988 को राँची में सेन्ट्रल माइनिंग, प्लानिंग एंड डिज़ाइन इंस्टीट्यूट (सी. एम. पी. डी. आई.) के सहयोग से आयोजित हुआ I इस अधिवेशन में दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, गुमला, भुवनेश्वर एवं राँची के लगभग 100 प्रतिनिधियों ने भाग लिया I
अधिवेशन का उदघाटन बिहार के राज्यपाल श्री गोविन्द नारायण सिंह को करना था परन्तु अन्तिम घडी में कुछ व्यवधान उत्पन्न होने के कारण वे राँची नहीं पहुँच सके I 30 दिसम्बर को अपरान्ह में एन. टी. पी. सी. के अध्यक्ष श्री अनिरुद्ध कुमार शाह की अध्यक्षता में ग्रामीण निर्धनों के विकास में विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग विषय पर परिचर्चा हुई जिसमें सी. एस. पी. डी. आई. के निदेशक श्री महीप सिंह, रांची विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति डा० रामदयाल मुंडा, रामकृष्ण आश्रम के स्वामी आत्मविद्यानन्द, विकास भारती के संस्थापक सचिव डा० महेश शर्मा आदि ने भाग लिया I बाद में साधारण सभा की बैठक में इस विषय पर संकल्प प्रस्ताव स्वीकृत किया गया I इस प्रस्ताव के प्रमुख बिन्दु थे- ग्रामीण निर्धनों के विकास में विज्ञान एवं तकनीकी का प्रयोग, ग्रामीणों की साक्षरता ही नहीं, उन्हें ऐसी शिक्षा दी जाय जिससे वे गावों में रहते हुए अपने जीवन को सही दिशा दे सकें I विकास योजना के ऊपर से नहीं बल्कि गांव की बुनियादी इकाई पर आधारित हो तथा प्राकृतिक साधनों के उपयोग में आम आदमी की समान हिस्सेदारी I
अधिवेशन का खुला सत्र 31 दिसम्बर को सी. एस. पी. डी. आई. के मुख्य सभागार में श्री ए. के. शाह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई I बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डा० हरेराज मिश्र मुख्य अतिथि थे I उन्होंने अपने उदबोधन में कहा कि महामना ने शिक्षा को राष्ट्र प्रेम से जोड़ दिया था I उनका कहना था कि शिक्षा के माध्यम से ही राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण सम्भव है I उन्होंने देश में जो चेतना जगायी थी वह बाद में लुप्त हो गयी I मालवीय मिशन ने इस कार्य को हाथ में ले लिया है I मैं मिशन की सफलता की कामना करता हूँ I
डा० मिश्रा ने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ कृषि उत्पाद पर आधारित उद्योगों के विकास पर जोर दिया I
श्री ए. के. साह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ग्रामीण पुनर्निर्माण योजना स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल और व्यावहारिक हो I हमारा कार्य प्रशासन के कार्य का अनुपूरक हो I मिशन की स्थापना महामना के जीवन आदर्शों के प्रचार-प्रसार के लिए हुई है, अतः अपने सारे कार्यकलाप महामना के आदर्शों के अनुरूप ही होने चाहिए I
मिशन की साधारण सभा की बैठक में अगले तीन वर्षों (1988-91) के लिए श्री ए. के. साह अध्यक्ष, श्री पन्नालाल जायसवाल महामन्त्री तथा डा० अम्बरीष गुप्त कोषाध्यक्ष चुने गये I अध्यक्ष ने कार्यकारी सचिव के रूप में एक नए पद का सृजन करते हुए श्री प्रभु नारायण श्रीवास्तव (लखनऊ) को यह दायित्व सौंपा I
सोनभद्र में व्यापक सेवा कार्य राँची अधिवेशन के बाद अगले तीन वर्षों में बिहार तथा उत्तर प्रदेश के सोनभद्र क्षेत्र में मिशन के कार्य का तीव्रता से विस्तार हुआ I मांडर (रांची) में महामना बुनियादी ग्राम तकनीकी केन्द्र का शुभारम्भ हुआ I यहां जनजातीय महिलाओं एवं किसानों व कारीगरों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण का कार्यक्रम रखा गया I राँची में बाल विकास के लिए 'एकलव्य प्रोजेक्ट' का शुभारम्भ हुआ जिसमें पिछड़ी जातियों के बच्चों को शिक्षा दी जाएगी I मिशन की ओर से छोटा नागपुर जन जातीय क्षेत्र में सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से पिछड़े युवक युवतियों के लिए बुनियादी ग्राम तकनीकी विद्यालयों के स्थापना की योजना है I बिशुनपुर, मांडर, टुण्डी में विद्यालय प्रारम्भ हो गये हैं I
सन 1989 में धनबाद में सी. एम. आर. एस. के निदेशक डा० भगवन्त सिंह की अध्यक्षता में मिशन की शाखा का गठन हुआ I बिहार में रांची, बिशुनपुर, हजारीबाग, माण्डर में मिशन की शाखाएं पहले से ही सक्रीय हैं I
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनजातीय अंचल में इस बीच मिशन के कार्य का काफी विस्तार हुआ I 12 जनवरी 1988 को मालवीय मिशन की अनपारा शाखा की स्थापना हुई I अनपारा परियोजना के महाप्रबन्धक श्री एस. बी. सिंह इसके संरक्षक बने I इस शाखा ने शीघ्र ही मिर्चाधुरी में मालवीय ग्रामीण विद्यालय प्रारम्भ किया I एक निशुल्क चिकित्सा केन्द्र खोला गया जिसमें प्रतिदिन एक पूर्ण कालिक चिकित्सक द्वारा 50-100 मरीजों तक का उपचार किया जाता है I निर्धन लोगों के लिए वस्त्रकोश एवं औषधि-निधि की भी व्यवस्था की गयी है I इस शाखा की ओर से डा० भीम राव अम्बेडकर एवं सामाजिक समरसता विषय पर व्याख्यान माला का भी आयोजन किया गया I
सोनभद्र की ओबरा शाखा प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र चला रही है I असमर्थ एवं निर्धन बच्चों की उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दी जाती है I ग्राम क्षरहरा में सरकारी विद्यालय है पर कोई अध्यापक जाता नहीं है I मिशन इस विद्यालय में पूरी व्यवस्था कर रहा है I इसके अतिरिक्त मिशन एक होम्योपैथिक चिकित्सालय चला रहा है और दूर आदिवासी क्षेत्रों से चारपाई पर गम्भीर अवस्था में लाये जा रहे मरीजों के लिए 300 रूपये सेक्युरिटी जमा कर उन्हें ओबरा थर्मल परियोजना के अस्पताल में चिकित्सा की व्यवस्था करता है I
शक्तिनगर, सिंगरौली में मालवीय संस्कार केन्द्र की स्थापना की गयी है I इस केन्द्र में शिशु एवं प्रथम कक्षा में 70 निर्धन छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं I शिक्षकों पर होने वाला व्यय मिशन द्वारा दिया जाता है I अगस्त 1990 से यह केन्द्र विवेकानन्द विद्यालय परिसर में चलाया जा रहा है I
मिशन की अनपारा शाखा ने 8-12 तक की कक्षाओं के निर्धन छात्रों की निशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की है I जुलाई 1988 से मिर्चाधुरी में महामना बाल निकेतन प्रारम्भ किया गया I ग्राम लोडरा में पानी की कमी को दूर करने के लिए हैन्ड पम्प लगाया गया और वहाँ के विद्यालय का पुनर्निर्माण कराया गया I उपर्युक्त ग्रामों में प्रतिवर्ष जाड़े के पूर्व पुराने ऊनी कपडे भी बांटे जाते हैं I
वाराणसी में सन 1991 में डी. एल. डब्ल्यू. मोतीझील के पीछे तुलसीपुर सेवा बस्ती में एक प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र एवं चिकित्सा सेवा केन्द्र शुरू किया गया I
सन 1988-90 की अवधि में रांची में जून 1990 में रामकृष्ण मिशन तथा अन्य स्वैच्छिक संस्थाओं के सहयोग से राष्ट्रीय पंचायत की स्थापना की गयी | धनबाद के टुण्डी ग्राम में क्षेत्रीय विकास शिविर लगाया गया I उत्तर प्रदेश में हरदुआगंज, पनकी, कानपुर, तथा हरियाणा में हिसार में मिशन की नयी शाखाएं खोली गयी I
मिशन की दिल्ली शाखा ने 9 मई 1990 को हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री डा० के. पी. भटटराय के सम्मान में दिल्ली में स्वागत समारोह का आयोजन किया I
हिन्दू विश्वविद्यालय के अमृत महोत्सव वर्ष में मिशन ने महामना के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर 13 एपिसोड का सीरियल बनाने और इस अवसर पर दिल्ली में विशाल समारोह आयोजित करने का निर्णय लिया I
वाराणसी में छठा राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का छठा राष्ट्रीय अधिवेशन 19 जनवरी 1991 को मालवीय भवन (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी में आयोजित हुआ I विश्वविद्यालय के कौस्तुभ जयन्ती की पूर्व संध्या पर आयोजित इस समारोह में कुलाधिपति महाराजा विभूति नारायण सिंह ने विश्वविद्यालय की बिगड़ती हुई स्थिति पर चिन्ता व्यक्त की और न्यायाधीश या किसी शिक्षाविद की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित करने की सिफारिश की I उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मालवीय मिशन विश्वविद्यालय को महामना के सपनों को साकार करने के लिए प्रयत्नशील है I
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा० आर. पी. रस्तोगी ने, जिन्हें विश्वविद्यालय में अनुशासन तथा शान्ति स्थापित करने का श्रेय जाता है, विश्वविद्यालय के वर्तमान एवं पूर्व छात्रों तथा अध्यापकों से महामना के दिखलाये राह पर चलने की अपील की I उन्होंने कहा मैं जब भी हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश करता हूँ तो यहाँ के धार्मिक, सात्विक वातावरण में खो जाता हूँ I यह शायद उस महाऋषि की तपोभूमि की मिटटी का प्रभाव है I हम महामना के जीवन आदर्शों के प्रति अपने को समर्पित कर दें I
अधिवेशन के अध्यक्ष श्री ए. के. साह ने स्वतन्त्रता संग्राम में हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों के योगदान की याद दिलायी और कहा कि हम देश कि वर्तमान संकट की घड़ी में उसी प्रकार अपनी भूमिका निभाएं I इस अवसर पर न्यायमूर्ति श्री सी. डी. पारिख एवं प्रो० के. पी. सिंह ने भी अपने विचार रखे I
मिशन की साधारण सभा की बैठक में निम्नलिखित प्रस्ताव स्वीकृत हुए I प्रथम प्रस्ताव में विश्वविद्यालय अधिकारीयों से अपील की गयी कि दानदाताओं की भावनाओं का ध्यान रखते हुए महामना को विश्वविद्यालय के लिए दी गयी भूमि, भवनों को विश्वविद्यालय बिक्री न करे बल्कि उसका उपयोग महामना के आदर्शों-विचारों के प्रचार हेतु, मालवीय शिशु मन्दिर, मालवीय संस्थान आदि के निमित्त करे I
दूसरे प्रस्ताव में सन 1963 में बन्द कर दिए गये आयुर्वेद महाविद्यालय को पुनः प्रारम्भ करने की मांग की गयी I
तीसरे प्रस्ताव में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम की तरह ही मालवीय मेमोरियल म्यूजियम की स्थापना की अपील की गयी I चौथे प्रस्ताव में महामना मालवीय जी के सम्पूर्ण वांग्मय-संग्रह को प्रकाशित करने की अपील की गयी I
अधिवेशन में श्री अनिरुद्ध कुमार शाह अगले तीन वर्षों के लिए पुनः अध्यक्ष, डा० महेश शर्मा महामंत्री तथा डा० अम्बरीष गुप्त कोषाध्यक्ष चुने गये I
वाराणसी अधिेवशन के बाद मिशन की कुछ नयी शाखाएं खुलीं- मध्य प्रदेश में रीवाँ, हिमाचल प्रदेश में शिमला तथा जम्मू-कश्मीर में जम्मू I सन 1993 में स्थापना के बाद जम्मू शाखा बहुत जल्दी सक्रिय हुई, और उसने अगले वर्ष राष्ट्रीय अधिवेशन जम्मू में करने के लिए केन्द्र के सामने प्रस्ताव रखा I
वाराणसी में मिशन द्वारा हरिजनबहुल क्षेत्र शिवपुरवा, रानीपुर तथा भगवानपुर में शिक्षा केन्द्र प्रारम्भ किये गये I लोहता स्थित विद्यालय में दंगा पीड़ित हरिजन बन्धुओं में आत्मविश्वास जागृत करने के लिए सत्यनारायण कथा का आयोजन हुआ जिसके यजमान हरिजन दम्पति थे I बाद में कथा वाचक पंडित जी ने हरिजन बन्धुओं के साथ ही भोजन किया I
मालवीय मिशन के तत्वाधान में 18-19 जनवरी 1992 को ओबरा में एक कार्यःशाला का आयोजन किया गया जिसमें सोनभद्र जिले के सर्वांगीण विकास का कार्यक्रम तैयार किया गया I विकास कार्यक्रम के प्रथम वर्ष में 50 साक्षरता केन्द्र चलाने का निर्णय हुआ I
नयी दिल्ली में 2 अक्टूबर 1994 को हरिजन सेवक संघ के सहयोग से कस्तूरबा बालिका विद्यालय में मालवीय संस्कार केन्द्र की स्थापना हुई जिसमें दलित वर्ग की कन्याओं के लिए तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया गया I
विश्वविद्यालय में शान्ति स्थापना तथा शैक्षणिक वातावरण में सुधार के लिए मिशन ने विश्वविद्यालय प्रशासन को 10 सूत्रीय कार्यक्रम दिया जिसमें से कुछ को कार्यान्वित भी किया गया I
जम्मू में सातवां राष्ट्रीय अधिवेशन मालवीय मिशन का सातवां राष्ट्रीय अधिवेशन 29-30 अक्टूबर 1994 को जम्मू में हुआ जिसमें देश के विभिन्न भागों से आये विश्वविद्यालय के पुरातन छात्रों तथा महामना प्रेमियों ने मानवीय मूल्यों के पुनः संस्थापन एवं सार्वजनिक जीवन में शुद्धता लाने का दृढ़ संकल्प लिया I
समारोह के मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के राजयपाल जनरल के. वी. कृष्णाराव ने कहा कि महामना ने देश की शिक्षा नीति को नयी दिशा दी I यह उनकी दूरदर्शिता का फल है कि आज भारत का वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की संख्या की दृष्टि से संसार में तीसरा स्थान है I उन्होंने जम्मू में मालवीय शिक्षण संस्थान के लिए भूमि उपलब्ध कराने में सहायता का आश्वासन दिया I
हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व कुलपति, मिशन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रो० रघुनाथ प्रसाद रस्तोगी ने लोगों से महामना के पदचिन्हों का अनुकरण करने की अपील की I उन्होंने कहा कि महामना मूल्यों पर आधारित जीवन चाहते थे I सार्वजनिक जीवन में शुद्धता, पारदर्शिता पर तो वे बहुत जोर देते थे I आज उनके आदर्शों एवं विचारों की समसामयिकता और भी बढ़ गयी है I
अधिवेशन में स्वीकृत प्रथम प्रस्ताव में समाज के शोषित, उपेक्षित वर्गों के लोगों को ऊपर उठाने, समाज में समरसता लाने के लिए देश में समता संस्कार केन्द्रों के माध्यम से शिक्षा, सेवा के व्यापक कार्यक्रम चलाने का संकल्प लिया गया I दूसरे प्रस्ताव में स्वदेशी जागरण अभियान चलाने का निश्चय हुआ I
मिशन की साधारण सभा में अगले तीन वर्षों (1994-97) के लिए प्रो० रघुनाथ प्रसाद रस्तोगी को अध्यक्ष, श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव लखनऊ को महामंत्री तथा श्री बलवीर कृष्ण चावला (नयी दिल्ली) को कोषाध्यक्ष चुना गया I
मिशन के जम्मू अधिवेशन के बाद उत्तर प्रदेश में गोरखपुर एवं ऊंचाहार में नयी शाखाएं खुली I गोरखपुर इंजीनियरिंग कालेज में 5 अगस्त 1997 को मिशन की शाखा का विधिवत उदघाटन मिशन के महामंत्री श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव ने किया I इंजीनियरिंग कालेज के प्रिंसिपल श्री बी. बी. लाल संरक्षक तथा श्री गोविन्द पांडेय, प्रवक्ता मिशन की गोरखपुर शाखा के संयोजक बनाये गये I
बी. एच. यू. एल्यूमनी असोसियेशन, चंडीगढ़ के श्री कुलदीप सिंह ने चंडीगढ़ में मिशन की शाखा स्थापित करने का आश्वासन दिया I
सन 1994 में जम्मू में महामना बालनिकेतन प्राथमिक विद्यालय की स्थापना हुई I विद्यालय एक अनाथालय में 32 छात्रों से शुरू किया गया I विद्यालय के लिए भूमि प्राप्त करने के लिए प्रयास हो रहा है I मिशन की बिशुनपुर शाखा ने विकास पंचायत के सहयोग से छोटा नागपुर जनजाति क्षेत्र में 100 पंचायतों में ग्रामीण प्रौद्योगिकी योजना के अन्तर्गत साबुन, चाक, कागज एवं अन्य कई प्रकार के घरेलु वस्तुओं के बनाने की विधि की शिक्षा दी I सोनभद्र के बीजपुर तापीय परियोजना की शाखा सरस्वती शिशु मन्दिर, मालवीय बाल मन्दिर, प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र, दूर दराज से रोगियों के साथ लाये वनवासी बंधुओं के लिए विश्राम गृह का संचालन कर रही है I
ऊंचाहार में मालवीय संस्कार केन्द्र की स्थापना की गयी जिसमें लगभग 50 निर्धन छात्रों को शिक्षा दी जा रही है I
मुम्बई में आठवाँ राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का आठवाँ राष्ट्रीय अधिवेशन 26-27 सितम्बर 1998 में बी. एच. यू. पूर्व असोसियेशन के सहयोग से मुम्बई में आयोजित हुआ I विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के अतिरक्त आई. आई. टी., भाभा एटोमिक एनर्जी रिसर्च सेन्टर के वैज्ञानिक बड़ी संख्या में समारोह में उपस्थित थे I मुख्य अतिथि एटोमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड के चेयरमैन प्रो० पी. रामाराव ने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से देश में विज्ञान-प्रौद्योगिकी के विकास में मालवीय जी का अप्रतिम योगदान है I ब्रिटिश सरकार ने तो देश में विद्यालयों की स्थापना इसलिए की थी कि उन्हें सरकार चलाने के लिए शिक्षित लोग मिल सकें I उन्होंने विज्ञान-प्रौद्योगिकी को बढ़ावा नहीं दिया I
मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो० आर. पी. रस्तोगी ने कहा कि हिन्दू विश्वविद्यालय अपने में एक अनुपम प्रयोग है, अन्य विश्वविद्यालयों की नकल नहीं I वैश्वीकरण की लहर के विपरीत उन्होंने पाश्चात्य देशों से उनके विकास के कुछ गुर लिए, जापान की औद्योगिक प्रगति से सीख ली और भारत को उसके ही मूल स्रोतों, मानव शक्ति के आधार पर देश के औद्योगिक विकास की रूप रेखा तैयार की I उन्होंने इस बात पर खेद प्रकट किया कि हमने विदेशों से उनकी कार्य संस्कृति से सबक नहीं लिया I इस अवसर पर सांसद श्री वेदप्रकाश गोयल, खादी ग्रामोद्योग आयोग के चेयरमैन डा० महेश शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये I समारोह के प्रारम्भ में आई. आई. टी. के डाइरेक्टर प्रो० एस. पी. सुखात्मे ने सभी आगत प्रतिनिधियों का स्वागत किया I
मिशन के बढ़ते हुए कार्य, सम्पत्ति-देहनदारी, मिशन कि समस्त शाखाओं के आय-व्यय के एकीकरण तथा आय कर संबंधी समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए साधारण सभा की बैठक में मिशन की शाखाओं को वित्तीय स्वायतत्ता देने का निर्णय हुआ और इस संबंध में आगे कार्यवाही के लिए एक समिति का गठन किया गया I
सभा में आगामी तीन वर्षों (1998-2001) के लिए प्रो० आर. पी. रस्तोगी को पुनः अध्यक्ष, श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव को महामंत्री तथा श्री हरिशंकर सिंह को कोषाध्यक्ष चुना गया I
अम्बिकापुर में वर्ष 1998 में अभिनव विद्या निकेतन हायर सेकेन्डरी स्कूल का प्रबन्धन मालवीय मिशन ने स्वीाकर किया I इस विद्यालय का शैक्षणिक कार्यक्रम सुधारने और उसे मूल्यों पर आधारित करने का प्रयास किया जा रहा है I
रिहन्दनगर (सोनभद्र) शाखा तीन विद्यालय- खैरी में सरस्वती शिशु मन्दिर, डोड़हर में मालवीय शिशु मन्दिर और कोड़ार सिरसोति में मालवीय बालनिकेतन चला रही है I इसके अतिरिक्त एन. टी. पी. सी. से प्राप्त भवन में वनवासी क्षेत्र से आनेवाले मरीजों के सम्बन्धियों के विश्राम की भी व्यवस्था की जा रही है I
सन 2000 में डा० डी. के. उपाध्याय के प्रयास से बलिया में मिशन की शाखा प्रारम्भ हो गयी I
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का अन्तर्राष्ट्रीय समागम मालवीय मिशन के तत्त्वावधान में 15-16 जनवरी 2001 को हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय सम्मलेन आई. आई. टी. नयी दिल्ली के कॉन्वोकेशन हॉल में आयोजित हुआ जिसका उदघाटन भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया I
श्री वाजपेयी ने महामना के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए कहा कि महात्मा गांधी अपने को मालवीय जी का पुजारी मानते थे I उन्होंने कहा कि मुझे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पढ़ने का सौभाग्य नहीं मिला I हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र औरों से अलग दिखाई पड़ने चाहिए I
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे मालवीय मिशन के कार्यों से परिचित हैं I उन्होंने सबका आह्वान किया कि हम में से प्रत्येक को किसी न किसी सेवा कार्य से जुड़ना चाहिए I
सभा कक्ष समय से पूर्व ही खचाखच भर गया था और काफी संख्या में पूर्व छात्र हाल के बाहर ही रह गये I
इस अवसर पर मिशन अध्यक्ष प्रो० आर. पी. रस्तोगी की अध्यक्षता में 'राष्ट्र निर्माण में बी. एच. यू. का योगदान' विषय पर गोष्ठी का भी आयोजन हुआ I रात्रि में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ जिसमें सुप्रसिद्ध कलाकारों- श्री राजन-साजन मिश्र, पदमश्री शोभना नारायण, श्रीमती पूर्णिमा झा (अमेरिका) ने अदभुत समा बांध दिया I
अगले दिन प्रातः डा० कर्ण सिंह ने अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार 'भारत का अभ्युदय' का उदघाटन किया I संयोजक डा० महेश शर्मा ने 'अभ्युदय' शब्द की विषद व्याख्या की I डा० कर्ण सिंह ने कहा कि बीसवीं शताब्दी में शिक्षा पद्धति के अनेक प्रयोग हुए परन्तु महामना द्वारा खड़ा किया गया विद्या मन्दिर ज्ञान-विज्ञान का अनुपम प्रयोग है जो सभी दृष्टियों से पूर्ण है, जहाँ मनुष्य का सम्यक विकास सम्भव है I सेमिनार में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग चेयरमैन प्रो० हरि गौतम, डा० त्रयम्बकेश्वर धर द्विवेदी (केनेडा), डा० डब्ल्यू आल्फ्रेड (जर्मनी), डा० शंकर तत्ववादी (लंदन), प्रो० डी. पी. सिंह, डा० धर्मपाल मैनी आदि अनेक विद्वानों ने भाग लिया I
समागम में दिल्ली में 'महामना मालवीय स्मृति भवन' बनाने का निर्णय हुआ I यह भवन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों के अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र के रूप में काम करेगा I
इस सम्मलेन में द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय समागम मुम्बई में सन 2004 में करने का निर्णय हुआ I
नागपुर में नौवां राष्ट्रीय अधिवेशन मिशन का नौवां राष्ट्रीय अधिवेशन 23-24 फरवरी 2002 को नागपुर विद्यापीठ परिसर में बी. एच. यू. पूर्व छात्र संघ के सहयोग से आयोजित हुआ I अधिवेशन में दिल्ली, मुम्बई, जम्मू, वाराणसी, लखनऊ, ऊंचाहार, अनपारा, अम्बिकापुर, बलिया, राँची आदि के लगभग 50 प्रतिनिधियों तथा नागपुर से बड़ी संख्या में स्थानीय एल्युमनी एसोसिएशन के सदस्यों ने भाग लिया I सम्मलेन के संयोजक थे प्रो० रामभाऊ तुपकरी I अधिवेशन का उदघाटन नागपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डा० अरुण सतपुले ने किया I उन्होंने मिशन के कार्य की प्रशंसा की और इस कार्य को और आगे बढ़ाने का आह्वान किया I
मुख्य अतिथि भूतपूर्व परराष्ट्र राज्य मंत्री श्री हरि किशोर सिंह ने कहा कि मालवीय जी का जीवन दर्शन हिन्दू विश्वविद्यालय के रूप में प्रकट हुआ है I उन्होंने कामना की कि केंद्र सरकार की मदद से आगामी दस वर्षों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालयों में शीर्षस्थ स्थान प्राप्त हो I
हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० आर. पी. रस्तोगी ने कहा कि हम महामना से प्रेरणा लेकर दुर्गणों से दूर रहें और निस्वार्थ भाव से समाज एवं राष्ट्र की सेवा में अपने को समर्पित करें I समारोह में बी. एच. यू. एल्युमनी असोसिएशन, नागपुर के अध्यक्ष डा० महीप सिंह तथा श्री कुटुम्बराव ने भी अपने विचार व्यक्त किये I
अधिवेशन में दिल्ली में 'महामना मालवीय स्मृति भवन' के निर्माण हेतु आर्थिक सहायता की अपील की गयी I
मिशन ने एक प्रस्ताव पास कर भारत सरकार से अपील की कि महामना मालवीय जी का जीवन वृत्त तथा उनके विचारों को विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में उचित स्थान दिया जाए जिससे भावी पीढ़ी उनके जीवन मूल्यों से अनुप्राणित हो राष्ट्र की सेवा में अपने को समर्पित कर सके I
मिशन की शाखाओं को वित्तीय स्वायत्तता देने के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव को अन्तिम रूप देने के लिए न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया और प्रो० राम भाऊ हरी तुपकरी को उसका संयोजक बनाया गया I इस समिति को 3 माह के भीतर संविधान संशोधन को अन्तिम रूप देने को कहा गया I
अधिवेशन में मिशन के दो वरिष्ठ कार्यकर्ताओं श्री रेवती रमण मिश्र, अम्बिकापुर एवं श्री राजेन्द्र प्रसाद, लखनऊ का राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा शाल ओढ़ाकर एवं श्री फूल भेंट कर सार्वजनिक रूप से अभिनन्दन किया गया I इन दोनों कार्यकर्ताओं ने सम्पूर्ण समय देकर मिशन का कार्य करने का संकल्प लिया I
मिशन की 23 फरवरी को आयोजित साधारण सभा की बैठक में आगामी तीन वर्षों (2002-05) के लिए न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय को अध्यक्ष, श्री मोहनलाल गुप्त (जम्मू) को महामन्त्री तथा श्री बी. एस. माथुर को कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया गया I
उत्तर प्रदेश पूर्व छात्र सम्मलेन मालवीय मिशन के तत्वाधान में 29-30 दिसम्बर, 2002 को हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का राज्यस्तरीय सम्मलेन लखनऊ में सम्पन्न हुआ I सम्मलेन का उदघाटन राज्यपाल महामहिम श्री विष्णुकान्त शास्त्री ने किया I हिन्दू विश्वविद्यालय के 600 से अधिक छात्र इस समागम में उपस्थित थे I इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय जहाजरानी मन्त्री श्री वेद प्रकाश गोयल, न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय, पूर्व कुलपति प्रो० रघुनाथ प्रसाद रस्तोगी, वर्तमान कुलपति प्रो० रामचन्द्र राव, चिन्तक एवं विचारक श्री गोविन्दाचार्य उपस्थित थे I
राज्यपाल श्री शास्त्री ने कहा कि महामना धर्म के मूर्तिमान रूप थे I मालवीय जी ने अपने जीवन में अभ्युदय और निश्रेयस इस दोनों की साधना की थी I हम आधुनिक देशवासी बने, परन्तु अपनी सांस्कृतिक परम्परा को विस्मृत न होने दें I रूप और स्वरुप की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि रूप बदल सकता है परन्तु हमें अपने स्वरुप को बचा कर रखना है I उन्होंने पूर्व छात्रों से यह अपेक्षा की कि वे अपने देश को बड़ा, शक्तिशाली बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे I
श्री वेदप्रकाश गोयल ने कहा कि दिल्ली में एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मालवीय स्मृति भवन का शिलान्यास उपराष्ट्रपति ने किया है I उसे शीघ्र पूरा करने का प्रयास जारी है I उन्होंने देश के विभिन्न भागों से आये पूर्व छात्रों से यह अपेक्षा की कि वे महामना के सपनों को साकार करेंगे I
द्वितीय सत्र में "भारत के अभ्युदय में हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों की भूमिका" विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक श्री अशोक सक्सेना, प्रो० डी. पी. सिंह, आबकारी मन्त्री श्री सूर्य प्रताप शाही, श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव आदि ने भाग लिया I
सत्र के अध्यक्ष कुलपति प्रो० राम चन्द्र राव ने कहा कि हिन्दू विश्वविद्यालय की भूमिका युवकों को आधुनिक शिक्षा देने के साथ उनके चरित्र निर्माण की भी थी I उन्होंने पूर्व छात्रों से अपील की कि वे विश्वविद्यालय को भौतिक, आर्थिक, नैतिक सहयोग देकर उसे सुदृढ़ बनाने का प्रयास करेंI
प्रो० राव ने बताया कि वैज्ञानिक प्रकाशन में विश्व में आज हिन्दू विश्वविद्यालय का तीसरा स्थान है I विश्वविद्यालय द्वारा आयुर्वेद तथा संस्कृत को विश्व में शास्त्रीय विषय के रूप में स्थापित किया जा रहा है I
उन्होंने कहा कि महामना को विश्वविद्यालय के लिए विभिन्न नगरों में अनेक सम्पत्तियां दान में दी गयी थी I उनके संरक्षण तथा महामना के आदर्शों एवं विचारों के अनुरूप उनका उपयोग करने में पूर्व छात्र विश्वविद्यालय की मदद कर सकते हैं I उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय छात्रों तथा स्नातक की डिग्री लेने वाले सभी छात्रों को मालवीय जी का जीवन चरित्र, उनके विचारों का संग्रह देने पर विचार कर रही है जिससे उन्हें महामना के आदर्शों पर चलने की प्रेरणा मिल सके I
इस अवसर पर स्वीकृत एक प्रस्ताव में भारत सरकार से यह निवेदन किया गया कि वह 25 दिसम्बर हर साल राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस के रूप में मनाएं I
सम्मलेन में सोनभद्र को पूर्ण साक्षर बनाकर उसे नक्सलवाद से मुक्त कराने का संकल्प भी लिया गया I
खुले अधिवेशन में सुप्रसिद्ध चिन्तक, विचारक श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि भारतीय सन्दर्भ में महामना के योगदान का पुनर्मूल्यांकन होना चाहिए I उन्होंने गांधी जी को 'रघुपति राघव राजा राम' का मन्त्र दिया था I उन्होंने कहा कि इस्लामी आतंकवादियों ने भारत के बाह्य रूप को क्षति पहुंचाई थी और अंग्रेज जॉन मिल, विलवर कोर्ट तथा मैकाले ने हमारे ज्ञान व्यवस्था को ध्वस्त किया I इसी क्षति की पूर्ति के लिए उन्होंने हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की I
श्री गोविन्दाचार्य ने कहा कि देश आगे बढ़ता है राष्ट्रीय स्वाभिमान से I महामना मालवीय मिशन इसी सोच का परिणाम है I हम सभी उसी से निकले हैं I हमें मालवीय 'विजन' को साकार करना है I
इस सत्र के अध्यक्ष प्रो० शंकर विनायक तत्ववादी (लंदन) ने कहा कि अपनी अस्मिता की पहचान कायम रखने से ही आत्मविश्वास, स्वाभिमान जगता है I हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हिन्दू सम्मान को बढ़ाने के लिए हुई थी I मालवीय जी ने महान वैज्ञानिक आईन्स्टाईन को भी हिन्दू विश्वविद्यालय में लाने का प्रयास किया था I उन्होंने कहा कि हमें विदेशों में भारत बोर्न कॉन्फिडेंट देशी युवकों की जरुरत है जिन्हें अपनी परम्परा, संस्कृति पर गर्व है I
इस अवसर पर हिन्दू विश्वविद्यालय के संगीत एवं नाट्य संकाय के छात्र-छात्राओं तथा अध्यापकों द्वारा मनोहारी सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया I
महामना मालवीय स्मृति भवन वर्ष 2002 की एक अन्य महत्वपूर्ण घटना थी महामना मालवीय जी के 141 वें जन्मदिवस 25 दिसम्बर को नयी दिल्ली में महामना मालवीय स्मृति भवन का महामहिम उपराष्ट्रपति श्री भैरों सिंह शेखावत द्वारा शिलान्यास I भारत सरकार से मालवीय स्मृति भवन के लिए 1200 वर्ग गज भूमि पर स्मृति भवन बनेगा जो अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दू विश्वविद्यालय पूर्व छात्र संघ के रूप में भी काम करेगा I
इस अवसर पर अपने उदबोधन में श्री शेखावत ने कहा कि महामना मालवीय जी का देश पर बहुत बड़ा ऋण है I उनकी स्मृति में बनने वाला यह अन्तर्राष्ट्रीय केंद्र बहुत भव्य होना चाहिए I यहाँ की एक एक ईंट उनके जीवन मूल्यों के सौरभ को बिखेरने वाली हो I उन्होंने स्मृति भवन के निर्माण में अपने योगदान का आश्वासन दिया I इस अवसर पर जहाजरानी मन्त्री श्री वेदप्रकाश गोयल, विधिवेत्ता सांसद श्री एल. एम. सिंघवी एवं न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय ने भी महामना को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की
रजत जयंती समारोह महामना मालवीय मिशन की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर 9 अप्रैल 2003 को नई दिल्ली में रजत जयंती समारोह आयोजित हुआ | मुख्य अतिथि थे केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी |
इस अवसर पर विगत वर्षों में किये गये कार्यों की समीक्षा की गयी और आगे आने वाले वर्षों में मिशन के प्रस्तावित कार्यो की रुपरेखा निश्चित की गयी |
डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि कशी हिन्दू विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा शिक्षण संस्थान है जिसके छात्र अपने विश्वविद्यालय के संस्थापक की स्मृति को जागृत किये हुए है और उनके आदर्शों, विचारों को पूरे संसार में प्रसारित कर रहे है | उन्होंने यह आशा प्रकट की कि मिशन महामना मालवीय के सपनों को साकार करने में हर संभव प्रयास करेगा |
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का बम्बई में द्वितीय अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन मुंबई पूर्व छात्र संघ (का. ही. वी.) के सहयोग से महामना मालवीय मिशन ने भारतीय प्रौधोगिकी संस्थान (IIT) पोवाई, मुंबई में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रो का अंतर्राष्ट्रीय समागम 3-4 जनवरी 2004 को आयोजित किया |
विश्वविद्यालय से निकले छात्र आज देश-विदेश में उच्च पदों पर कार्य कर रहे है | समय समय पर इनका समागम विश्वविद्यालय एवं देश दोनों के हित में है | इस के अतिरिक्त यह पूर्व छात्रों के मिलन और विचार विमर्श का अवसर भी प्रदान करता है |
समागम का मुख्य विषय था – Education for Global Leadership और उसका उदघाटन परमाणु उर्जा आयोग (Atomic Energy Commission) के चेयरमैन डा. अनिल काकोदकर ने किया | श्री के के नोहरिया ने उपस्थित पूर्व छात्रों का स्वागत किया तथा केंद्रीय जहाजरानी मंत्री श्री वेदप्रकाश गोयल ने वयोवृद पूर्व छात्रों को सम्मान पत्र दिया |
श्री आनंद शंकर पंड्या की अध्यक्षता में हुए द्वितीय सत्र में प्रो. आर. पी. रस्तोगी, शांति लाल सोमैया एवं डा. कर्ण सिंह के ओजस्वी भाषण हुए |
समारोह में विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर. पी. रस्तोगी, तत्कालीन कुलपति प्रो. रामचंद्र राव, न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय एवं श्री अशोक सिंघल ने भी भाग लिया |
इस अवसर पर संस्कृत संध्या का भी आयोजन किया गया | समारोह संयोजक श्री डी. सी. गुप्ता के धन्यवाद ज्ञापन के बाद समाप्त हुआ |
समागम की सबसे बड़ी उपलब्धि थी स्टरलाइट फाउंडेशन द्वारा विश्वविद्यालय के सुन्दरलाल अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी के लिए 3 ½ करोड़ रुपये के दान की घोषणा |
मिशन का दसवां अखिल भारतीय अधिवेशन महामना मालवीय मिशन का दसवां अखिल भारतीय अधिवेशन १४-१५ मई २००५ को बिहार की राजधानी पटना में न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय की अध्यक्षेता में सम्पन्न हुआ जिसका उदघाटन दरभंगा सांस्कृतिक विश्वाविद्यालय के कुलपति प्रो. कृपानंद प्रचेता ने किया | समारोह में सांस्कृतिक मूल्यों के ह्रास और निर्धन एवं समर्थ लोगों के बीच बढ़ते हुए अंतर पर चिंता व्यक्त की गयी और मिशन के सदस्यों से महामना मालवीयजी के आदर्शों, विचारों के प्रसार तथा राष्ट्र को शक्तिशाली बनाने के लिए अपने को समर्पित करने की अपील की गयी |
अधिवेशन में स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर जोर दिया गया और भारत सरकार द्वारा महामना मालवीय स्मृति भवन के लिए प्रदत्त भूमि पर भव्य स्मारक बनाने का निर्णय किया गया और लोगो से उसके निर्माण के लिए धन देने की अपील की गयी |
अधिवेशन में पूर्व मंत्री श्री हरी किशोर सिंह, सांसद श्री अश्विनी कुमार, डा. महेश शर्मा, वैज्ञानक डा. जयकृष्ण पांडे तथा विभिन्न स्थानों से आये हुए लगभग 100 सदस्यों ने भाग लिया |
सायंकाल में आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम पटना शाखा के प्रधान श्री सुशीलचन्द्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ | मुख्य वक्ता थे पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जगन्नाथ ठाकुर | कार्यक्रम का संचालन सेक्रेटरी श्री आर. एन. सिन्हा ने किया | दूसरे दिन मिशन की साधारण सभा की बैठक हुई जिसमें अगले तीन वर्षों के लिए श्री गिरिधर मालवीय राष्ट्रिय अध्यक्ष तथा श्री हरी शंकर सिंह महामंत्री चुने गए |
मालवीय स्मृति भवन के लिए भूमि पूजन निर्माण कार्यक्रम मालवीय स्मृति भवन के लिए भारत सरकार द्वारा दिल्ली के केंद्र में 952 वर्ग मीटर भूमि आवन्टित की गयी थी | भवन का नक्सा भी आर्किटेक्ट ने तैयार कर लिया था और निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपये की आवश्यकता थी परन्तु मिशन के पास तो प्रथम अंतर्राष्ट्रीय पूर्व छात्र समागम के उपरांत केवल दस लाख रुपये बचा था | अतः विस्वविद्यालय के पूर्व स्नातकों से आर्थिक सहायता की अपील की गयी | सर्व प्रथम डॉ. बी. के. मोदी ने एक करोड़ रुपया किस्तों में देने का अश्वासन दिया | इंजीनीयर श्री के. के. वोहरा ने अपने मकान का एक फ्लैट बेचकर 15 लाख की राशि मिशन को दी | इसके साथ ही व्यापक धन संग्रह अभियान छेड़ा गया |
निर्माण कार्य आरंभ करने के पूर्व 25 दिसंबर 2005 को आवंटित भूखंड पर शास्त्रीय पद्धति से भूमिपूजन सम्पन्न हुआ | वेद मन्त्रों के उच्चारण के साथ भूखंड के उत्तर-पूर्व कोने में गहराई पर रजत सर्प, मिशन का संक्षिप्त इतिहास, संस्थापकों के नाम, महामना के आशीर्वचन, भूमिपूजन का विवरण आदि एक कांस्य पात्र में रख कर दबादिया गया | तत्पश्चात कुंड की भराई केंद्रीय मंत्री डा. मीरा कुमार, श्री भीष्म नारायण सिंह, श्री लक्ष्मीमल सिंघवी, आदि द्वारा किया गया |
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का तृतीय अंतर्राष्ट्रीय समागम महामना मालवीय मिशन के साथ बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का ऐतिहासिक तृतीय सम्मेलन लगभग एक वर्ष की तैयारी के बाद 6-7 जनवरी 2007 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के “स्वतंत्रता भवन” में सम्पन्न हुआ | महामना मालवीय मिशन के रास्ट्रीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय जी की अध्यक्षता में 6 जनवरी 2007 को समारोह का उद्घाटन प्रातः 11:30 बजे समोराह के मुख्य अतिथि एवं विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पंजाब सिंह ने किया | स्वतंत्रता भवन के सभागार में लगभग 3000 छात्र उपस्थित थे |
न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन ने कहा कि पं. मदन मोहन मालवीय जी, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय विश्वविद्यालय मानते थे | उनकी इच्छा थी कि इसके स्नातक राष्ट्र निर्माता के रूप में अपनी पहचान बनायें | महामना के दृष्टिकोण को साकार रूप प्रदान करने के लिए यह आवश्यक है कि गरीब छात्रो को भी अवसर मिले और उनके लिए फंड स्थापित हो | समारोह के मुख्य अतिथि एवं कुलपति प्रो. पंजाब सिंह ने बी. एच. यु. एवं साऊथ क्याम्पस से सम्बंधित उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और विश्वविद्यालय को और भी गौरवमयी छवि प्रदान करने के लिए पूर्व छात्रों के योगदान का आव्हान किया | उन्होंने प्रभावी शोध कार्यों को संचालित करने के लिए महामना चेयर की स्थापना की भी घोषणा की |
पद्मा विभूषण प्रो. रामबदन सिंह, महात्मा गांघी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति एवं समीक्षक प्रो. नामवर सिंह, पूर्व मंत्री व समाजचिन्तक प्रभु नारायण सिंह, महान वैज्ञानिक डा. जयंत विष्णु नार्लीकर, डा. सी. एस. राव, आई.आई.सी. एशिया प्रोजेक्ट की निर्देशक डा. कपिला वात्स्यायन एवं महामना मालवीय मिशन के कार्यकारी अध्यक्ष व समाजचिन्तक श्री पन्ना लाल जायसवाल को “विशिष्ट पुरातन छात्र सम्मान” से नवाजा गया | समारोह में उपस्थित अतिथियों का स्वागत आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. डी. पी. सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव प्रो. चन्द्रकला पाडिया ने किया | कार्यक्रम का संचालन मुंबई के श्री युगराज जैन ने किया |
“इंजिनीयरिंग एवं तकनिकी शिक्षा” पर संगोष्ठी का आयोजन समागम के प्रथम सत्र में किया गया | समागम का द्वितीय सत्र ‘जीवन मूल्यों एवं सैद्वान्तिक विचारधारा’ पर केन्द्रित था |
प्रथम दिन 6 जनवरी 2007 को “संगीत की अदभुत संघ्या” का आयोजन भी किया गया था | प्रो. रंजना श्रीवास्तव ने अपने शिष्यों के साथ कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया | पिता पुत्र की जोड़ी श्री बालाजी और अनंत रमण ने विशिष्ठ वायलिन त्रिवेणी पर स्वर साधा | ‘रंग डालूंगी नंद के लालन पे’ की प्रस्तुति पर पूर्व छात्र अपनी सुधबुध खो बैठे |
समागम के दूसरे दिन 7 जनवरी को समापन से पहले अलग अलग विषयों पर तीन सत्र आयोजित किये गए | दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध आलोचक प्रो. नामवर सिंह ने कहा कि मालवीय जी द्वारा बी. एच. यु. की स्थापना सार्वभौम कल्याण के उद्देश्य से की गयी थी |
“बी. एच. यु. में मेडिकल शिक्षा” विषयक दुसरे सत्र का आयोजन चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. गजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता एवं डा. भानुशंकर मेहता की सहअध्यक्षता में हुआ | प्रो. रामहर्ष सिंह ने आयुर्वेद को मुकम्मल चिकित्सा शास्त्र की संज्ञा देते हुए कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा शास्त्र में और अनुसंधान की आवश्यकता है | सरकार को इसके लिए धनराशि बढानी चाहिए |
“महिला शिक्षा एवं सशक्तिकरण” विषय पर समागम के अंतिम सत्र में प्रो. हेमलता स्वरुप की अध्यक्षता में प्रो. चन्द्रकला पाडिया ने अपने मूल संबोधन में महिलाओं की शिक्षा एवं उनको समाज में सशक्त बनाने के लये मालवीय जी के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला |
मालवीय स्मृति भवन का उदघाटन देश की राजधानी दिल्ली में महामना मालवीय राष्ट्रीय स्मृति भवन का उदघाटन देश के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के कर-कमलों द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय की १४७वीं जयंती अर्थात 25 दिसंबर 2008 को संपन्न हुआ | यह स्मृति भवन 52-53, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली पर स्थित है |
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और भारतीय संस्कृति के सुविख्यात विद्वान डा. कर्ण सिंह उदघाटन समारोह के अध्यक्ष थे | तमिल नाडू एवं असम के भूतपूर्व राज्यपाल तथा सुविख्यात गांघीवादी विचारक श्री भीष्म नारायण सिंह और महामना के पौत्र, इलाहबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश तथा महामना मालवीय मिशन के वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय विशिष्ठ अतिथि थे | इस अवसर पर अपने कर्म क्षेत्रों में प्रतिष्ठा अर्जित कर चुके काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व छात्र –छात्रायें भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे |
इस अवसर पर अपने उदबोधन में भारत रत्न डा. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने कहा कि 2020 तक विकसित भारत के निर्माण का उनका स्वप्न साकार करने में शिक्षा की महती भूमिका होगी | उन्होंने कहा कि शिक्षा का ध्येय जिज्ञासा, रचनात्मकता, उच्चतर प्रौद्योगिकी का प्रयोग क्षमता, उद्यमिता और नैतिक नेतृत्व, इन पांच क्षमताओं का विकास कर विद्यार्थियों में सामर्थ्य और आत्मविश्वास के सृजन का होना चाहिए |
प्रमुख दान-दाता महामना मालवीय स्मृति भवन के निर्माण के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों तथा मिशन के सदस्यों ने दिल खोलकर दान दिया | मालवीय मिशन डा. बी. के. मोदी एवं श्री के. के. वोहरा द्वारा दी गयी सहायता के लिए विशेष रूप से आभारी रहेगा | प्रमुख दान दाता थे:-
मिशन का 11वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन
मालवीय मिशन के 11वे राष्ट्रीय अधिवेशन के प्रथम दिन 25 दिसंबर 2008 को पूर्व राष्ट्रपति डा. ऐ.पी.जे. अब्दुल कलाम ने मालवीय स्मृति भवन का उदघाटन किया | उसके दुसरे दिन २६ दिसंबर को स्मृति भवन के सभागार में मिशन की साधारण सभा की बैठक हुई |
महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री गिरिधर मालवीय पूर्व राज्यपाल एवं केबिनेट मंत्री डा. भीष्म नारायण सिंह, कार्यकारी अध्यक्ष श्री पन्नालाल जायसवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. आर. एच. तुपकरी, खादी ग्रामोद्योग के पूर्व अध्यक्ष एवं मिशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डा. महेश शर्मा एवं मिशन के उपाध्यक्ष श्री प्रभु नारायण श्रीवास्तव ने मालवीय जी की प्रतिमा पर पुष्पार्पण किया | तत्पश्चात राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री शैलेन्द्र गैरोला ने भिविन्न शाखाओं से आये हुए मिशन के सदस्यों का स्वागत किया |
राष्ट्रीय महामंत्री ने मिशन की पिछले तीन वर्ष की गतिविधियों के विषय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जिसका सदस्यों ने अनुमोदन किया |
वर्ष 2007-2008 के आय एवं व्यय तथा संतुलन पत्र का आडिट लेखा जोखा श्री पी. डी. मित्तल ने प्रस्तुत किया जिसको सदस्यों ने ध्वनिमत से पारित किया | श्री बी. एस. माथुर ने मालवीय स्मृति भवन के अब तक के निर्माण खर्च के बारे में सदस्यों को बताया | किये गए कार्यो की बकाया देनदारी के विषय में भी मालवीय मिशन के सदस्यों को अवगत कराया गया |
मालवीय मिशन की विभिन्न इकाईयों की रिपोर्ट
विभिन्न इकाइयों से आये हुए प्रतिनिधियों ने अपनी इकाई द्वारा चलाए गए कार्यक्रमों पर क्रमश: प्रकाश डाला | श्री विजय प्रताप ने लखनऊ, डा. दीनबन्धु पांडे ने वाराणसी, श्री रोहित सिन्हा ने दिल्ली, श्री मृत्युंजय कुमार ने पटना, डा. महेश शर्मा ने रांची, श्री हरी शंकर त्रिपाठी ने अम्बिकापुर, श्री प्रभुनारायण श्रीवास्तव ने गोरखपुर, श्री के. के. पराशर ने जयपुर, डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ने कलकत्ता, श्री एच. आर. तुपकरी ने नागपुर और श्री डी. के. उपाध्याय ने बलिया में चल रहे कार्यो की रिपोर्ट प्रस्तुत की |
विश्वविद्यालय के चौथे अंतर्राष्ट्रीय पूर्व छात्र समागम के बारे में चर्चा हुई | राष्टीय अध्यक्ष ने कहा कि बी. एच. यू. यदि इस समागम का आयोजन करता है तो मिशन को पूरा सहयोग देना चाहिए | वैसे कार्यकारिणी की प्रथम बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लेना उचित होगा |
कार्यकारी अध्यक्ष श्री पन्नालाल जायसवाल ने मालवीय स्मृति भवन के निर्माण में सदस्यों द्वारा दिये गए सहयोग के प्रति कृतज्ञता प्रकट की | सदस्यों को बताया कि निर्माण पूरा होने के बाद अभी लगभग 60 लाख की राशि विभिन्न मदों में देय है | इसके लिए सदस्यों के सहायता की अपेक्षा की |
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने समापन संबोधन में कहा कि मालवीय मिशन के आदर्शों के अनुरूप गऊ, गंगा एवं गायत्री का बहुत ही महत्व है | गऊ का दूध अमृत होता है और गोबर पवित्र होता है | गंगा जल की विशेषता यह है कि एक वर्ष तक रखने पर भी कीड़े नहीं पड़ते | गंगा निर्वाध बहे और जल हमेश निर्मल रहे इसके लिए मालवीय मिशन का भी प्रयास होना चाहिए |
नयी कार्यकारिणी का चुनाव
अंत में महामना मालविय मिशन की नयी कार्यकारणी वर्ष 2008-2011 के लिये चुनाव संपन्न हुआ | डा. एच. आर. तुपकरी ने चुनाव अधिकारी नियुक्ति के बाद मिशन के संविधान के अनुरूप चुनाव सम्पन्न कराया | साधारण सभा में अगले तीन वर्षों के लिए डा. भीष्म नारायण सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष और श्री हरी शंकर सिंह को राष्ट्रीय महामंत्री चुना गया |
नव निर्वाचित अध्यक्ष श्री भीष्म नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि मिशन से उनका अत्यंत ही पुराना लगाव है | प्रयास रहेगा कि समय निकाल कर मिशन को आगे बढ़ाएंगे |
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रो का चतुर्थ अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन दिसंबर 2009 The 4th International BHU Alumni Meet was held from the 25th to 27th December 2009 at BHU. The meet was organized by the Banaras Hindu University in association with the Mahamana Malaviya Mission. “Higher education : Global Perspective and Indian Vision” and an International Seminar was also organized on this occassion. The Chief Patron of the organizing committee was the VC, BHU Prof Dhirendra Pal Singh, the Chairman and organizing secretary were Prof D P Singh and Prof R S Dubey respectively.
The meet was inaugurated by the Hon’ble Chancellor of BHU Dr Karan Singh, in the august presence of Prof Mool Chand Sharma, VC of the Central University of Haryana and Padmabhusan Dr Chandi Prasad Bhatt, an eminent Gandhian environmentalist. The three day meet witnessed many eminent speakers from India and abroad.
As a prelude to the meet , one day seminar was organized in all the faculties of the university on the theme of the conference in order to bring about the understanding of the faculties in the concerned areas. The international seminar served as an appropriate forum for intense deliberations in various dimensions of the present day higher education in the context of the global challenges and its enrichment by integration of the Indian Vision.
महामना मालवीय जी की 150वी वर्षगांठ मानाने के लिए राष्ट्रीय समिति का गठन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की 150वी वर्षगांठ वर्ष 2011-12 में मनाने के लिए भारत सरकार ने प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रिय समिति गठित की (भारत का राजपत्र-गज़ट ऑफ़ इंडिया, अति विशिष्ठ भाग – 1 खंड 1) जिसमें मालवीय मिशन के छ प्रतिनिधियों को स्थान दिया गया | इस समिति के सदस्य थे सर्वश्री डा. कर्ण सिंह, सलमान खुर्शीद, राम गोपाल यादव, भीष्म नारायण सिंह, गोपाल कृष्ण गांधी, सत्यदेव त्रिपाठी, नयायमूर्ति गिरिधर मालवीय, महेश शर्मा, पन्नालाल जायसवाल, वीणा मोदी, रीता बहुगुणा जोशी, मुख्य मंत्री (उत्तर प्रदेश). अध्यक्ष (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) कुलपति (का.हि.वि.) और मानव संसाधन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय के सचिव तथा संस्कृति मंत्रालय में अपर सचिव एवं वित्त सलाहकार समिति के पदेन सदस्य थे |
समिति की शिफरिशो को वर्तमान नियमों के अनुसार कार्यान्वित करने का निष्चय हुआ | साष्ट्रीय समिति की प्रथम बैठक में अनेक सुझाव आये | मिशन की और से भी कई प्रस्ताव रखे गए | इन सभी को कार्यान्वित करने के लिए डा. कर्ण सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति का गठन हुआ |
राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति की प्रथम बैठक में मिशन द्वारा रखे गए निम्नलिखित सुझावों को स्वीकृत किया गया |
१. देश के प्रमुख नगरों में महामना के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर सेमिनार एवं सभाओं का आयोजन |
२. महामना के जीवन और कृतित्व पर 100-150 पृष्ट के पुस्तक का प्रकाशन |
३. मालवीय मूल्य अनुशील केंद्र की स्थापना |
४. मालवीय जी के नाम से १० रुपये के सिक्के जारी |
५. महामना मदन मोहन मालवीय के नाम से वाराणसी में गंगा तट पर घाट का निर्माण |
६. दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना |
७. देश के मुख्य नगरों में महामना मालवीय जी के नाम से शिक्षण केन्द्रों, सभागार, पुस्तकालय आदि की स्थापना अथवा नामकरण
८. मालवीय मिशन की वेबसाइट का सशक्तिकरण |
९. मालवीय मेमोरियल लाइब्रेरी की स्थापना |
संस्कृति मंत्रालय (भारत सरकार) की सहायता से अधिकांश योजनाए कार्यान्वित हो चुकी है और शेष पर कार्य जारी है |
महामना मालवीय की 150वी वर्षगांठ का कार्यक्रम भारत ही नहीं विदेशों में भी मनाया गया जिसमें स्वतंत्रता आन्दोलन तथा आधुनिक भारत के निर्माण में मालवीयजी के योगदान से लोगो को अवगत कराया गया, उनके संस्मरण, प्रेरक प्रसंगों को सुनाये गए | कार्यक्रमों में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र तथा महामना के समर्थक बड़ी संख्या में उपस्थित थे | मिशन की और से यह कार्यक्रम दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बंगलुरु, लखनऊ, नागपुर, जयपुर, भोपाल, वाराणसी, अम्बिकापुर, प्रयाग, गुवाहाटी, देहरादून, आदि अनेक नगरों के अतिरिक्त काठमांडू, लन्दन और वाशिंगटन में भी मनाया गया | काठमांडू में समारोह का उदघाटन नेपाल के राष्ट्रपति डा. रामबरन यादव ने किया | लन्दन में नेहरु सेंटर में आयोजित कार्यक्रम में न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय और वाशिंगटन में डा. कर्ण सिंह मुख्य अतिथि थे | ये कार्यक्रम स्थानीय भारतीय दूतावासों के सहयोग से संपन्न हुआ |
27 दिसंबर 2011 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह ने महामना मालवीय जी की 150वी वर्षगांठ समारोह का उदघाटन किया और मालवीयजी का 10 रूपए का सिक्का जारी किया |
25 दिसंबर 2012 को राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वर्ष भर चले समारोह का समापन किया |
मिशन का 12वा राष्ट्रीय अधिवेशन महामना मालवीय मिशन का 12वाँ राष्ट्रीय अधिवेशन वाराणसी में दिनांक 8 व 9 अप्रैल 2012 को आयोजित किया गया | अधिवेशन के प्रथम दिन दिनांक 8 अप्रैल 2012 को महामना प. मदन मोहन मालवीय जी के 150वे जयंती वर्ष के शुभ अवसर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी “मालवीय चिंतन प्रासंगिक आज भी, कल भी” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया |
उदघाटन समारोह के मुख्य अतिथि आसाम के राज्यपाल डा. जानकी बल्लभ पटनायक थे | मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह ने समारोह की अध्यक्षता की |
मुख्य अतिथि ने अपना संबोधन हिन्दी में किया और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुडी हुइ रोचक स्मृतियों के बारे में क्रमवार प्रकाश डाला और मालवीय जी के सम्पूर्ण जीवन का वृतांत संक्षिप्त रूप से प्रस्तुत किया और अंत में बताया कि विश्वकवि रविन्द्र नाथ ठाकुर ने मालवीय जी को महामना की उपाधि दी थी | वह इसलिए कि मालवीय जी मद, मोह व मान से पुर्णतः विरक्त थे |
अपने अध्यक्षीय भाषण में डा. भीष्म नारायण सिंह ने अपनी चिर परिचित रोचक शैली में बी.एच.यु. में क्यों उनके पिता जी ने प्रवेश दिलाया, इसके विषय में बताया | उन्होंने कहा कि जो कुछ भी जीवन में प्राप्त किया है वह बी.एच.यु. में शिक्षित होने से मिला | न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय जी ने मालवीय जी से सम्बंधित अनेक रोचक एवं मर्मस्पर्शी संस्मरण सुनाये | मालवीय जी की कर्त्तव्यपरायणता से सम्बंधित संस्मरण उपस्थित जनसमुदाय के मानस पटल पर विशेष छाप छोड़ गए |
राष्ट्रीय अधिवेशन के अवसर पर 9 अप्रैल को साधारण सभा की बैठक हुई और नए पदाधिकारियों का चुनाव हुआ | बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रिय अध्यक्ष डा. भीष्म नारायण सिंह ने की | साधारण सभा में न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय जी पूर्व अध्यक्ष, श्री पन्नालाल जायसवाल, संरक्षक तथा श्री डी. पी. सिंह ने महामना मालवीय जी के आदर्शों तथा विचारों पर प्रकाश डाला |
साधारण सभा की बैठक के प्रारंभ में महाममंत्री श्री हरी शंकर सिंह ने पिछले 3 वर्ष (2008-11) का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया | संशिप्त चर्चा के बाद सदस्यों ने प्रतिवेदन को अनुमोदित किया |
तत्पश्चात विभिन्न इकाइयों से आये हुए प्रतिनिधियों ने अपना परिचय दिया तथा अपनी इकाई द्वारा चलाये गए कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला |
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने समापन संबोधन में कहा कि मालवीय मिशन के आदर्शों के अनुरूप सभी को कार्य करना चाहिए | मालवीय जी प्रति सच्ची श्रधांजलि तभी होगी जब हम सब उनके आदर्शो को आगे बढ़ाये |
नई कार्यकारिणी का चुनाव अंत में मालवीय मिशन की नई कार्यकारणी (वर्ष 2012-15) के लिए चुनाव सम्पन्न हुआ | डा. लल्लन प्रसाद आम सभा की सहमति से चुनाव अधिकारी नियुक्त किये गए | उन्होंने नियमानुसार अध्यक्ष, महामंत्री और कोषाध्यक्ष का चुनाव सम्पन्न कराया और निम्नलिखित पदाधिकारियों के चुनाव की घोषणा की |
राष्ट्रीय अध्यक्ष - श्री भीष्म नारायण सिंह
राष्ट्रीय महामंत्री - श्री शैलेन्द्र गैरोला राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष - श्री हरी शंकर सिंह
नव निर्वाचित राष्ट्रीय महामंत्री श्री शैलेन्द्र गैरोला ने चुनाव के बाद अपने संबोधन में कहा “मिशन से हमारा अत्यंत ही पुराना सम्बन्ध है | हमारा प्रयास रहेगा कि मिशन का कार्य को आगे बढे | यही मालवीय के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजली होगी |”
विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रो का पंचम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 23 & 24 December 2012
महामना की 150वी वर्षगांठ के स्मरणोत्सव के अवसर पर निम्नलिखित योजनाओं को मालवीय स्मृति भवन में स्थापित करने के लिए संस्कृति मंत्रालय से वित्तीय सहायता प्राप्त हुई |
The 5th International BHU Alumni meet was organized on the 23 & 24th Dec 2012 jointly by Alumni Cell BHU and IIT(BHU). The salient feature of the meet was a seminar on“ Mahamana’s Vision of Nation Building”. This meet was planned as part of the concluding function of the year long celebrations initiated to commemorate the 150th birth anniversary of Pandit Madan Mohan Malaviya. Prof Lalji Singh VC, BHU was the Chief Patron of the organizing committee, Prof B N Dwivedi and Prof K N Singh were the Chairman and the Organising Secretary respectively.
The inaugural session was chaired by the Hon’ble Governor of Assam Shri Janki Ballabh Patnaik. The Alumni attending the meet were welcomed by Prof B N Dwivedi , Chairman of the Alumni Cell and also the Organising Committee. There were a number of technical sessions which were addressed by many prominent speakers. Outstanding achievers in their domains were felicitated notable being Dr Janki Ballabh Patnaik, Dr S Pareja, Prof Saranjeet Bhasin, Dr Nagendra Kumar Singh, Prof Pulika M Ajayan,, Shri Mannu Bhandari, Justice Dr Balbir Singh Chauhan, Prof Pankaj Chandra, Prof Virendra Kumar Mudgil.
A number of dignitaries were present during the meet notably among them were the Governor of MP Hon’ble Ram Naresh Yadav ,Justice Dr B S Chauhan ,Prof U R Rao ex Chairman ISRO, Prof R B Singh ex member National Farmers Commission, Prof S Churamani Gopal ex VC Chatrapati sahu ji Maharaj Medical University, Prof Pankaj Chandra Director IIM Bangalore, Shri Virendra Kumar Mudgil, Provost Auckland University, Prof D P Singh ex VC Lucknow University.
One important feature of the meet was the Faculty Exhibition which was inaugurated by Justice Dr B S Chauhan. In this exhibition different Institutes and the Faculties of the university presented their profile and achievements. It provided a wonderful opportunity for the alumni to have a perspective of the progress of the university over the years.
The concluding session of the two day meet was chaired by Hon’ble Governor of MP Shri Ram Naresh Yadav. In his address, he gave a number of valuable suggestions for the development of the University.
महामना मालवीय मिशन वेबसाइट मालवीय मिशन वेबसाइट महामना मालवीयजी के आदर्शों और विचारों को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। महामना मदन मोहन मालवीय की 150 वीं जयंती के अवसर पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने महामना मालवीय मिशन की वेबसाइट के उन्नयन के लिए 2013 में अनुदान दिया था। वेबसाइट उन्नयन का उद्देश्य मदन मोहन मालवीय के सभी उपलब्ध लेख, भाषण, , तस्वीरें अपलोड करके विद्वानों, शोधकर्ताओं और जनता के लिए सार्वभौमिक सभी सामग्री उपलब्ध कराना है। महामना पर प्रकाशित सामग्री के विशेष अंश भी वेबसाइट पर डाल दिए गए है । वेबसाइट www.malaviyamission.org पर मालवीयजी पर उपलब्ध समृद्ध संग्रहण देखे जा सकते है I
महामना मालवीय मिशन लाइब्रेरी
महामना मालवीय मिशन लाइब्रेरी पंडित मालवीय के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलव्ध कराने के लिए स्थापित की गयी है। लाइब्रेरी मालवीयजी पर प्रकाशित पुस्तकों का एक मूल्यवान संग्रह है। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार से प्राप्त अनुदान के तहत महामना मालवीय मिशन लाइब्रेरी में विभिन्न विषयों की पुस्तकों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का संग्रहण किया गया है: दर्शन, संस्कृति, अध्यात्म, अर्थशास्त्र, पारिस्थितिकी, राजनीति विज्ञान, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान , विज्ञान, प्रौद्योगिकी, प्रबंधन, प्राचीन और आधुनिक इतिहास, विशेष रूप से प्राचीन ग्रंथ (वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत, गीता) का समृद्ध भंडार संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में। राष्ट्रीय नेताओं की जीवनी, इसी क्रम में डिजिटल संसाधनों के लिए इंटरनेट के उपयोग के साथ एक डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की गयी है। डिजिटल लाइब्रेरी में 15 कंप्यूटर और लैपटॉप के साथ एक उच्च अंत-सर्वर है। डिजिटल लाइब्रेरी मालवीयजी पर डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध सभी संसाधनों और उसके साथ जुड़े संस्थानों के लिए उपयोगी जानकारी सक्षम बनाता है। डिजिटल संसाधनों का उपयोग किसी भी समय 15 छात्रों / सदस्यों के लिए उपलब्ध है। डिजिटल साक्षरता कक्षाएं विशेष रूप से गरीब छात्रों के लिए एक नियमित आधार पर आयोजित की जाएंगी।
मिशन का पूरे देश में विस्तार महामना मालवीय मिशन की शाखायें इस समय दिल्ली, लखनऊ, वाराणसी, मुंबई, देहरादून, जयपुर, इलाहाबाद, ओबरा, अनपारा, ऊँचाहार में चल रही हैI इसके अतिरिक्त अनेक अन्य स्थानो पर मालवीय जयंती के कार्यक्रम किये जा रहे है पर उन्हें मालवीय मिशन के निर्धारित सभी नियमो का पालन करने के उपरांत मान्यता प्रदान की जायेगी I
मिशन द्वारा संचालित कुछ प्रकल्प शिक्षा, विकास एवं सेवा के अनेक प्रकल्प मिशन द्वारा देश के विभिन्न भागों में विशेष रूप से पिछड़े आदिवासी, दलित एवं शोषित वर्ग के लोगों के लिए चलाये जा रहे हैं I नगरों में शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण पर अधिक जोर दिया जा रहा है I मिशन द्वारा संचालित कुछ प्रमुख प्रकल्पों का विवरण नीचे दिया जा रहा है I
महामना मालवीय विद्या मन्दिर, लखनऊ भारतीय सांस्कृतिक जीवन मूल्यों पर आधारित आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के उददेश्य से महामना मालवीय शिशु मन्दिर की स्थापना जुलाई 1990 में की गयी I इसका मुख्य लक्ष्य है बच्चों में नवस्फूर्ति, जिज्ञासा, स्वावलम्बन, अनुशासन प्रियता, निर्भयता, स्वाभिमान, स्वाध्याय, संवेदनशीलता जैसे गुणों के साथ उनका शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास I विद्यालय गोमती नगर, लखनऊ में लगभग 20 हजार वर्ग फुट भूखण्ड में स्थित है I
इस विद्या मन्दिर के भवन का उदघाटन सन 1994 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया I सम्प्रति विद्यालय में यू. पी. बोर्ड पर आधारित शिक्षा पाठ्यक्रम के अनुसार कक्षा 10 तक शिक्षा प्रदान की जा रही है I विद्यालय को उच्चतर माध्यमिक (कक्षा 12) स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रयत्न जारी है I
लखनऊ में महामना की स्मृति में चलाये जा रहे सभी कार्यक्रमों के समन्वय के लिए महामना मालवीय मिशन परिसर विवेक खंड- 1 को 'महामना मालवीय सेन्टर' के रूप में विकसित करने का विचार है I इसके अन्तर्गत विद्या मन्दिर, छात्रावास, मालवीय वांग्मय शोध एवं सेवा केन्द्र चलाया जाएगा I महामना बाल निकेतन मिशन द्वारा लक्ष्मणपुरी लखनऊ में सं 1983 से कुष्ठ रोगियों के बच्चों के लिए एक छात्रावास चलाया जा रहा है, जहां बचपन को संवारा व संस्कारित किया जाता है I 16 वर्ष पूर्व लखनऊ में 'मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी' द्वारा चलाये जा रहे कुष्ठ आश्रम के कुछ हिन्दू परिवारों द्वारा धर्म परिवर्तन का विरोध करने पर वहाँ से निष्कासित कर दिया गया था | मिशन ने इन परिवारों के बच्चों के समग्र विकास की जिम्मेवारी ली थी I छात्रावास में इस समय 20 असहाय बच्चे है | मालवीय मिशन परिसर में 50 शैय्या वाले छात्रावास का निर्माण प्रगति पर है जिसका शिलान्यास तत्कालीन मुख्यमन्त्री श्री राजनाथ सिंह ने किया I
अम्बिकापुर में विद्यानिकेतन विद्यालय, पुस्तकालय मिशन के कर्मठ कार्यकर्ता स्वर्गीय पं० रेवती रमण मिश्र के प्रयास से अम्बिकापुर के धुँआधार उद्यान में महामना मालवीय जी की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गयी है I नगरपालिका के अधिकारियों ने इस उद्यान का नाम मालवीय उद्यान रख दिया है I
अम्बिकापुर का अभिनव विद्या निकेतन विद्यालय अब मालवीय मिशन की देख रेख में चलाया जा रहा है I
मालवीय मिशन के प्रयास से विवेकानन्द छात्रावास की परिधि में मालवीय पुस्तकालय की स्थापना हुई है I इस पर लगभग 1 लाख 15 हजार खर्च आया है I
अनपारा में आदिवासी बच्चों के लिए छात्रावास अनपारा तापीय परियोजना द्वारा मिशन को अनपारा बाजार में 3600 वर्ग गज जमीन उपलब्ध करायी गयी है जिसमें 20 अस्थायी कमरे और एक हाल है I छात्रावास में सोनभद्र जनपद के 25 गांव के 50 आदिवासी विद्यार्थी रहते हैं I उनको निःशुल्क शिक्षा, पुस्तकें तथा भोजन की सुविधा दी जा रही है I उसमें कक्षा 2 से 12 तक के विद्यार्थी हैं I इस छात्रावास का उदघाटन तत्कालीन गृह राज्य मंत्री श्री रंगनाथ मिश्र ने किया I
ओबरा में मिशन विद्यालय ओबरा में मिशन विद्यालय चल रहा है जिसमे 150 बच्चो को कक्षा 8 तक की शिक्षा दी जाती है इसमें अधिकांश आदिवासियों के बच्चे है जो दूर दूर से पढ़ने के लिए यहाँ आते है
गोंडा में मालवीय संस्कार केंद्र गोंडा में भी मालवीय संस्कार केंद्र की स्थापना की गयी है जिसमे शिक्षा के अतिरिक्त गरीब लड़कियों को सिलाई सिखाई जाती है |
दिल्ली में गुलदस्ता विद्यालय दिल्ली में मालवीय मिशन गुलदस्ता विद्यालय सरिता विहार में लगभग 200 गरीब बच्चो को शिक्षा दी जा रही है | इनकी विधिवत शिक्षा के लिए विद्यालय बनाने की योजना है | इसके लिए दिल्ली सरकार से भूमि आवंटन के लिए आवेदन पत्र दिया गया है | इसके अतिरिक्त कस्तूरबा बलिका विद्यालय, ईश्वर नगर में हरिजन छात्राओं को सिलाई कढ़ाई की शिक्षा दी जा रही है|
महामना मालवीय स्मृति भवन नयी दिल्ली के मध्य में 1200 वर्ग गज भूमि पर बना यह भवन महामना के जीवन दर्शन का साक्षात मूर्त्त रूप है I इसे मालवीय दर्शन कहने में अतिशयोक्ति न होगी I
स्मृति भवन महामना के आदर्शों, जीवन मूल्यों, विचारों के प्रचार प्रसार का अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र है I भवन में मालवीय मेमोरियल संग्रहालय, रिसर्च एंड रेफेरेंस लाइब्रेरी, प्रेक्षागृह, गीता व्याख्यान हाल, मीडिया कम्युनिकेशन सेन्टर, रिसर्च फेलो कक्ष, गोष्ठी कक्ष, एन. आर. आई. (पूर्व छात्र) अतिथि कक्ष, आदि है I
अन्तर्राष्ट्रीय बी. एच. यू. एल्युमनी सेन्टर इस स्मृति भवन से कार्य करेगा I वास्तव में हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों का यह अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र होगा जहां संसारभर के पूर्व छात्र एक दूसरे से मिल सकेंगे I काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने भी इस भवन में अपना सूचना कार्यालय रखने का निर्णय किया है I
स्मृति भवन प्रवासी भारतीय बच्चों के लिए कार्यक्रम चलाएगा जिससे उन्हें भारतीय संस्कृति का ज्ञान हो और अपनी मातृभूमि के प्रति उनके मन में आत्मीयता की भावना उत्पन्न हो I
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की बिगड़ती हुई स्थिति से उसके पूर्व छात्रों में चिन्ता होना स्वाभाविक है I मिशन ने 1989 में तत्कालीन कुलपति प्रो० रघुनाथ प्रसाद रस्तोगी को एक दस सूत्रीय परिपत्र दिया जिसमें विश्वविद्यालय में पुनः शान्ति पूर्ण शैक्षणिक वातावरण लाने के लिए कुछ उपाय सुझाये गये थे I इनमें से कुछ को कार्यान्वित भी किया गया I
यह प्रसन्नता की बात है कि प्रो० रस्तोगी के समय विश्वविद्यालय में कड़ाई से प्रशासन चलाया गया और विश्वविद्यालय में शान्तिपूर्ण वातावरण में शैक्षणिक कार्य होने लगा I सारी परीक्षाएं समय पर आ गयीं I
स्थापना के समय महामना की विश्वविद्यालय के बारे में जो परिकल्पना थी, विश्वविद्यालय के उस स्वरुप को वापस लाने के लिए मालवीय मिशन प्रयत्नशील है और इस सम्बन्ध में विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों से परामर्श जारी है I
मिशन ने विश्वविद्यालय में कार्यान्वित करने के लिए कुछ योजनाओं को प्रस्ताबित किया था I इसमें से इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी (IIT) में परिवर्तित हो चुका है | अन्य योजनायें है - नए इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल स्टडीज, इनफॉरमेशन टेक्नॉलॉजी विभाग का सशक्तीकरण तथा इंडियन मेडिसिनल हर्बल गार्डेन का विकास I इसके अतिरिक्त महामना मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र तथा दक्षिण पूर्व एशियाइ देशों के सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना जिन पर कार्य जारी है |
मिशन की वाराणसी शाखा आजकल गंगा जल प्रदूषण को लेकर भी चिन्तित है और गंगा एक्शन प्लान को शीघ्र पूर्ण कराने के लिए प्रयत्नशील है I
लक्ष्य- भावी कार्यक्रम 2020 महामना का सपना था- हिन्दू संस्कृति के श्रेष्ठतम जीवन मूल्यों से प्रेरित प्रखर देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत युवकों के निर्माण द्वारा भारत को संसार में एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाना I उनका मानना था कि सशक्त भारत ही हिन्दू संस्कृति के मानवता, विश्व बन्धुत्व, वसुधैव कुटुम्बकम के सन्देश से विश्व को प्रभावित कर सकता है I काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तो इस महान लक्ष्य की पूर्ति के लिए निमित्त मात्र है I
यद्यपि मिशन का मुख्य लक्ष्य शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण है, तदापि वह महामना के बहुआयामी व्यक्तित्व को ध्यान में रखते हुए अपनी बढ़ती हुई शक्ति, क्षमता के अनुसार मिशन उन सभी कार्यक्रमों को हाथ में लेगा जिन्हें महामना ने अपने जीवन काल में चलाया था I मिशन के भावी कार्यक्रम में पिछड़े, शोषित, दलित, आदिवासी लोगों के शैक्षणिक, सांस्कृतिक, आर्थिक विकास द्वारा उन्हें राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ना, पृथक्करण की भावना का नियन्त्रण- राष्ट्रीय एकीकरण, सार्वजनिक जीवन में शुद्धता- पारदर्शिता के लिए सार्वजनिक संस्थाओं तथा शासन पर दबाव, महिलाओं की शिक्षा और सभी सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी, सामाजिक कुरीतियों को दूर करना, आदि होगा I हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र बड़ी संख्या में देश-विदेश में उच्च स्थानों पर काम कर रहे हैं- इन सभी लोगों की विज्ञान प्रौद्योगिकी की जानकारी तथा उनकी आर्थिक क्षमता का भारत के 'अभ्युदय' में उपयोग I
महामना मालवीयजी की 150वीं वर्षगांठ समारोह के अंतर्गत मिशन की दो अन्य महत्वपूर्ण योजनाओ को स्वीकृत किया गया है जिन्हे कशी हिन्दू विश्वविद्यालय को हस्तांतरित कर दिया है | इन दोनों योजनाओ के कार्यान्वयन में मिशन विश्वविद्यालय को पूर्ण सहयोग दे रहा है | ये योजनायें है—
मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र यह सर्वविदित है कि भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद नैतिक मूल्यों को तेजी से ह्रास हुआ है समाज अर्थ प्रधान हो गया है, आपसी प्रेम सौहार्द नहीं रहा है, हर व्यक्ति अपने बारे में सोचता है, समाज के बारे में नहीं | फलत; जीवन के हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार व्याप्त है | मिशन इस कमी को पहचानता है और कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थापित मालवीय मूल्य अनुशीलन केंद्र आदर्श नागरिक तैयार करने कि दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा
दक्षिण पूर्वी एशियाई देशो का सांस्कृतिक केंद्र यह केंद्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में स्थापित हो रहा है किसी समय भारत के लोगो ने दक्षिण-पूर्वी एशिया देशो में धर्म और संस्कृति का व्यापक प्रसार किया था जिनके अवशेष आज भी बर्मा , थाईलैंड, सिंगापुर, मलेशिया, इंडोनेशिया, बाली, अफगानिस्तान(गांधार) में आज भी मौजूद है मिशन का प्रयास है कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बनने वाला यह अंतराष्ट्रीय केंद्र इन देशो के छात्रों, रिसर्च फेलो, अध्यापको के आदान प्रदान, अध्ययन एवं विचार विनिमय को बढ़ावा देगा | आशा है कि यह केंद्र 2016-17 तक कार्य करने लगेगा |
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय 4 फ़रवरी 2016 को 100 वर्ष पूरा कर रहा है | विश्वविद्यालय और मिशन दोनों मिलकर इस समारोह को आयोजित करेंगे और पूरे वर्ष विविध कार्यक्रम आयोजित होंगे |
इसी अवसर पर छठा अंतर्राष्ट्रीय पूर्व छात्र समागम आयोजित करने की योजना है |
शताब्दी वर्ष समारोह का उदघाटन 4 फ़रवरी 2016 को कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में और समापन समारोह 25 दिसंबर 2016 को नयी दिल्ली में संपन्न होगा जिसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया जा रहा है |
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