Mahamana Madan Mohan Malaviya

Mahamana Madan Mohan Malaviya
Speeches & Writings

भारतीय राष्ट्रीय महासभा (कांग्रेस)

कराँची अधिवेशन, १९३१ में भाषण

 

सरदार भगत सिंह तथा उनके साथी श्री सुखदेव और राजगुरु फाँसी पर पण्डित जवाहरलाल ने प्रस्ताव पेश किया, उनके समर्थन में महामना मालवीयजी का भाषण । 

 

बहनों और भाइयों!

 

मेरी ज़िंदगी में सबसे बड़े दुःख का मौका आज आया हैमैं कांग्रेस मंच से बोलता हूँ, लेकिन आज इस प्रस्ताव को ताईद करने में जो दुःख हो रहा है, उसे मैं ही जानता हूँउसे किन शब्दों में जाहिर करूँ, मैं उसे प्रकट नहीं कर सकताआपको पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्ताव पढ़कर सुना दिया हैआपन सुन लिया हैमैं नहीं चाहता कि मैं इसे फिर से दुहराऊँ और इस कार्य में आप लोगों का समय लूँआज कैसा समय है, समय का लक्ष्य कैसा है? मेरे लिये क्या यह कमबख्ती का वक़्त है, क्यों यह हो रहा है कि आज इन तीन नौजवानों कि मृत्यु के प्रस्ताव पर मैं बोलने आया हूँ? मैं इन नौजवानों कि मृत्यु पर ताईद करने आया हूँहोना तो यह चाहिए था कि मेरे मरने पर ये नौजवान मेरे विषय में कुछ प्रेम के शब्द कह देतेहा! आज जमाने कि रफ़्तार को कोई क्या करे! यह कुछ नहीं, हमारा दुर्भाग्य है, हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हमने अजहद कोशिश की, वाइसराय साहब के पास प्रार्थना पत्र पहुँचाएचारों तरफ से मुल्क की एक आवाज़ थी कि भगतसिंघ को बचाओ, लेकिन नौकरशाही ने हमारी एक सुनीयह हमारा दुर्भाग्य है कि हम इतनी कोशिश करने पर भी इन नौजवानों को नहीं बचा सके

 

भाइयों! आपको पण्डित जवाहरलाल नेहरू ने यह बतला दिया है कि इस प्रस्ताव में क्या है? यह भी आपको बता दिया है कि यह प्रस्ताव महात्मा जी का बनाया हुआ हैइस प्रस्ताव में साफ़-साफ़ बतला दिया है कि हम इन नौजवानों कि बहादुरी कि तारीफ करते हैं, लेकिन हम तशद्ददुद से अलग रहते हैंइसका क्या कारण है कि लाहौर से खबर आते ही सरे देश एक बिजली की तरह सनसनी फ़ैल गई? आखिर ऐसा क्यों हुआ? इसकी तह में क्या छिपा हुआ है? इसका कारण है कि भगतसिंह भारत-माता का ही प्रेमी नहीं था, वह हमारे नौजवानों का प्रतिनिधि थाउसके खयालात नौजवानों के खयालात रूबरू करने के लिये काफी सबूत हैंउसके कारनामे हमारे नौजवानों के खयालात जाहिर करने के लिये काफी सबूत थेहमारे देश में एक अजीब हालत पैदा हो गई हैयह हालत इसलिये और भी खतरनाक है कि ऐसे देश में भी, जहाँ विदेशी राज्य हो, सबसे बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाती हैहमारे नौजवानों के लिये सबसे बड़ी अगर कोई बात चुभती है, तो वह है-हमारे देश में विदेशी राज्य कीऔर नौजवान एक क्षण भी यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि यहाँ विदेशी राज्य होवे इसी उधेड़-बुन में रहते हैं कि किसी प्रकार हम अपने देश को स्वतंत्र करेंविदेशी राज्य में जो तकलीफें हुआ करती हैं, वे तकलीफें हम बहुत जमाने से बर्दाश्त करते रहे हैंहमने सरकार को बार-बार चेतावनी दी है कि जबतक ये तकलीफें दूर होंगी, हमारे मुल्क में शान्ति नहीं होगीमैंने कहा कि ये तकलीफें हिंदुस्तान के सर पर पड़ी हैंहम अनेक प्रकार कि तकलीफें बर्दाश्त करते रहे हैंजब देखा कि हमें इन तकलीफों को दूर करने का इलाज दिखाई नहीं दिया, जब हम बिलकुल थक गए, हमारी सरकार ने भी एक नहीं सुनी, तो क्या हुआ कि कुछ नौजवानों के दिल बिगड़ गयेउनसे चुपचाप नहीं बैठा गयाउन्हें शान्ति के कार्यक्रम में कोई यकीन नहीं रहावह दिन कोई असंभव बात नहीं हैआखिर क्या हुआ? नतीजा यही हुआ कि हमारे बहुत से नौजवान आज भगतसिंह के लिये परेशान हो रहे हैंहम उनके तरीकों को नापसन्द करते हैं, और हुमेहसा से नापसन्द करते आए हैंहमें तो शनीतिमय कार्यक्रम के साथ चलना हैइसलिये इस मार्ग से हटकर जो कोई भी कार्य करेगा, हम उसके साथ नहीं चल सकतेइन नौजवानों के कारनामें जरूर हमें नापसन्द हैं, लेकिन इसके साथ-ही-साथ हम यह भी जानते हैं कि इन कामों को करने में इन नौजवानों कि खुदगर्जी नहीं थीयह हमे मानना पड़ेगा कि खुदगर्जी इन नौजवानों को इस रास्ते में नहीं के गईभगतसिंह तथा इसके दूसरे साथियों का फाँसी पर चढ़ जाना, इस बात का काफी सबूत है कि खुदगर्जी इनको इस रास्ते में नहीं ले गईवे मुल्क में सच्ची स्वतंत्रता कायम करना चाहते थेजो मुल्क में स्वतंत्रता कायम करने के लिये फाँसी पर चढ़ जाने को तैयार हैं, मैं अपने ऐसे नौजवानों कि तारीफ करता हूँमैं आपका इस प्रस्ताव कि ओर ध्यान दिलाता हूँहमने साफ़-साफ़ कहा है कि हम इन नौजवानों कि बहादुरी कि तारीफ करते हैं, लेकिन हम इनके तरीकों से अपने आप को अलहदा रखते हैंमैं फिर कहूँगा कि उन्होंने जो भी किया है, उसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी इस वक़्त का मौजूदा तरीका सल्तनत पर हैसरकार जुल्म-पर-जुल्म करती हैहम चाहे कितना भी शांति का पाठ पढ़ावें, सरकार जुल्म से बाज नहीं आतीवह जिम्मेदार है, हमारे नौजवानों को इस रास्ते पर ले जाने के लियेजो काम भी हमारे नौजवान करते हैं, वे सच्चाई से भरे होते हैंजरूर वे गलत रास्ते पर हैं, लेकिन यह उनकी दिल कि तह से निकलते हैंजब बुजुर्ग भी ऐसा करते हैं तो फिर नौजवानों का क्या कहना! आप अपना मौजूदा इतिहास उठा कर देख लेंददोर जायँ, पिछले बीस वर्ष का इतिहास देखेंआपको मालूम होगा कि सन १९१४ ई० से अब तक कितने नौजवान फाँसी पर चढ़ गएजब मुझे वो किस्से याद आते हैं, तो मेरा दिल चाक हो जाता हैअगर जल्दी स्वराज्य कायम हो जाता  तो मुझे पूरा विश्वास है कि वो जानें बच जातींआप याद रक्खो, अभी समय है कि ऐसे रास्ते से बचो, अभी कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ा हैहम ठोकरें खाकर भी समझ सकते हैंमैं तो नौजवानों से यही कहूँगा कि बेचैन होने से क्या फायदा, बुद्धिमानी से काम लेना चाहिएआप अच्छी तरह से समझ लो कि स्वराज्य देश में जल्दी कायम होना चाहिएयह भी याद रक्खो कि एक पराधीन देश को स्वतंत्रता जल्दी नहीं मिला करतीउसके लिये बड़े-बड़े यत्न करने पड़ते हैं, सैंकड़ों तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ता हैहम बहुत समय से अपने देश को स्वतंत्र करने में लगे हुए हैंलेकिन अभी दिल्ली दूरस्तमेरा विश्वास है कि यह अदम-तशद्ददुद की लड़ाई एक ऐसी लड़ाई है जिसका हमें नया सबक मिला हैआपने देख लिया होगा कि इस लड़ाई से हम अपने मुल्क को कितना आगे बढ़ा सकते हैंजिस कदर हिम्मत अहिंसात्मक लड़ाई में होती है, वह हिंसात्मक लड़ाई कहीं जयादा हिम्मत कि माँग रखती हैअहिंसात्मक लड़ाई में हमे ज्यादा संतोष और दिलेरी के साथ काम लेना पड़ता हैआज जो रंज से हमारे दिल भरे हैं, वह क्यों? इसका एक कारण यह है कि इन नौजवानों ने तशद्ददुद से काम लियाअगर वह अहिंसात्मक कार्यक्रम पर चले होते तो आज यह रंज का समय हमें देखना नहीं पड़ताभगतसिंह ने ऐसा क्यों किया? यह महसूस करो कि ये उसका बड़ा भारी बलिदान थालेकिन तुम समझ लो कि हमें स्वराज्य प्राप्त करना हैहिंसात्मक मार्ग पर चलने से चाहे तुम्हें कितने ही क्यों जोश दिलाए जायँ कि हिंसा करो और विदेशी राज्य का दुःख दूर करो, पर हिम्मत हारो और हिंसा करोमहात्मा जी ने अहिंसात्मक कार्यक्रम ही हमारे सामने रक्खा हैहमारा धर्म है कि हम इसके महत्व को अच्छी तरह समझ लेंभगतसिंह ने जो भी चिट्ठी लिखी है, उसमे उन्होंने लिखा है कि हम शांतिमय तरीकों से स्वराज्य कायम करते, लेकिन सरकार ने हमारी के सुनी, सरकार ने हमारे कहने को एक मानाकांग्रेस ने बचने कि कोशिश कि और सरकार को यह यकीन दिलाया कि अगर वह हमको इस सजा से रिहा कर कोई दूसरी सजा दे दे, तो इस देश में शान्ति कायम हो सकती हैगवर्नमेंट ने हमारी एक पुकार सुनीयदि भगतसिंह बच जाता तो के भगतसिंह कि जान बचतीअब भगतसिंह नहीं बचाहमें इस्वर ने सबक पढ़ाया कि हम सरकार को बदलने में तनिक भी देर करें

 

नौजवानों/संकल्प कर लो

 

सबका यह संकल्प होना चाहिए कि हु जल्दी-से-जल्दी उस काम को पूरा करें जिस काम के लिये भगतसिंह ने अपने जीवन का बलिदान कियाउसकी सबसे प्रबल इच्छा थी कि जल्दी-से-जल्दी विदेशी राज्य को बदल देंयदि आप वास्तव में भगतसिंह से प्रेम करते हो, तो प्रण करो कि शांतिमय मार्ग पर चलते हुए विदेशी राज्य को शीघ्र-से-शीघ्र हटायेंगे, तभी भगतसिंह कि आत्मा को शान्ति मिल सकती है

 

आप समझ गए होंगे कि प्रस्ताव के तीन हिस्से हैंतीसरे हिस्से में बताया गया है कि जब सुलह करने कि कोशिश हो तो शान्ति से विचार करना जरुरी हैशर्त लगाकर सुलह नहीं हो सकतीशान्ति से विचार करने से ही सुलह कि शर्तों पर विचार हो सकता हैकांग्रेस ने शर्त लगायी थी कि सुलह कि पहली शर्त यह हो कि लड़ाई से सब कैदी छोड़ दिए जायँक्या यह कभी मुमकिन हो सकता है कि जब कुछ कैदी जेलों में पड़े रहें, उस वक़्त हम सुलह कि बातें करेंयह मौका था कि सरकार इस शर्त को मानतीयह सारे मुल्क कि पुकार थीकांग्रेस नहीं कहती थी उन्हें छोड़ दो, वह तो कहती थी कि उन्हें फाँसी से छोड़ कर आजन्म क़ैद कि सजा दे दोअगर सरकार इसे मंजूर कर लेती तो अंग्रेजी सल्तनत तबाह नहीं हो जाती, बल्कि फल यह होता कि सैंकड़ों नौजवानों के दिल ठन्डे हो जातेदूसरा सबक हमें यह मिला कि हमारी ताक़त इतनी कमजोर है कि कोई सुनवाई नहीं हुईमहात्मा गाँधी जैसे पुरुष कि बात, जिसकी अमेरिका भी तारीफ करता है, वाइसराय ने नहीं सुनीइसने मेरे ह्रदय में लोहे की कील को और गहरी गाड़ दी है

 

यह प्रस्ताव तीन हिस्सों में बंटा हुआ हैपहले हिस्से में हम बता देते है की हमारा ध्येय क्या हैआज हम अंग्रेजों से कहते हैं कि वह अपने को हमारी स्थिति में रक्खेकाश! ऐसी घटना वहां हुई होती तो क्या इन नौजवानों को फाँसी मिल जाती? कभी नहीं! मेरी शक्ति नहीं कि उनकी तारीफ करूँसब यह मंजूर करते हैं कि उन्होंने जो भी किया मुल्क के प्रेम में कियातुम ऐसा करो जैसा कि कांग्रेस और महात्मा जी तुम्हें बताते हैंतुम ऐसा कर लोगे तो मुल्क का इन्तेजाम जल्दी ही तुम्हारे हाथों में होगातुम दुनिया में इज्जत पाओगेइस बात को ध्यान में रखकर इस प्रस्ताव को पास करोभगतसिंह का शरीर गयाउनकी राख नदी में फेंक दी है; वह भारत-माता कि गोद में लेट गएमैं चाहता हूँ कि नौजवानों के अंदर उनकी बहादुरी और प्रेम्नक्श बनेंशुद्ध भाव से जान देते हुए शांतिमय रास्ते से भारत में जब तक पूर्ण स्वतंत्रता कायम कर देंगे, तब तक उसका नाम भूलेंगे, ऐसा तुम प्रण करोइसी से तुम्हारा और भारत का नाम ऊँचा होगा

 

आखिरी हिस्से में कहा है कि उनके रिश्तेदारों से हम हमदर्दी करते हैंउनके पिता सरदार किशन सिंह यहीं मौजूद हैंइतना सदमा रखते हुए वे आपकी कांग्रेस में शामिल हो गएवास्तव में वे भगतसिंह के पिता होने के लायक हैं, ईश्वर उन्हें शांति देमैं परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ कि जो बूढ़े हो गए हैं, जो मुल्क कि सेवा में पीछे नहीं हैं, उनके साथ नौजवान इत्तिफाक से काम करेंआप अपने लिये के कार्यक्रम कायम कर लो, थोड़े दिन के लिये एक नीति कायम कर लोक्या नौजवान, क्या बूढ़े, सब शामिल हो जाओमेरी अर्ज है कि सब एक दिल हो जाओसरकार को मालूम हो जाय कि अं हिन्दू और मुसलमान एक हो गये हैंनौजवान महात्मा जी के कथन के अनुसार कार्य करने के लिये तैयार होंआप एक होंगे तो आपकी जय होगी

 

 

 

 

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