आपसबजानतेहैंकिआजकलमुझमेंनतोसफरकरनेकीताकत हीरहीहैऔरनइच्छाही, लेकिनजबमैंनेइसविश्वविद्यालयके‘रजतमहोत्सव’कीबातसुनीऔरमुझेसरराधाकृष्णनकानिमन्त्रणमिलातो मैं इन्कार न कर सका ।
लोगमालवीयजीमहाराजकीबड़ीप्रशंसाकरतेहैं।आजभीआपनेउनकीकुछप्रशंसासुनीहैं, वहसबतरहउसकेलायकहैं।मैंजानताहूँकिहिन्दूविश्वविद्यालयकाकितनाबड़ाविस्तारहै।संसारमेंमालवीयजीसेबढ़करकोईभिक्षुकनहीं।जोकामउनकेसामनेआजाताहै, उसकेलिए, अपनेलिएनहीं, उनकीभिक्षाकीझोलीकामुँहहमेशाखुलारहताहै, वेहमेशामांगाहीकरतेहैं।औरपरमात्माकीभीउनपरबड़ीदयाहैकिजहाँजातेहैं, उन्हें पैसे मिल ही जाते हैं ।इसपरभीउनकीभूखकभीनहींबुझती।उनकाभिक्षापात्रसदाखालीरहताहै।उन्होंनेविश्वविद्यालयकेलिएएककरोड़इकटठाकरनेकीप्रतिज्ञाकीथी।एककरोड़कीजगहडेढ़करोड़दसलाखरुपयाइक्टठाहोगया, मगरउनकापेटनहींभरा।अभी-अभीउन्होंनेमुझसेकानमेंकहाहैकिआजकेहमारेसभापतिमहाराजसाहेबदरभंगानेउनकोएकखासीबड़ीरकमदानमेंऔरदीहै।
दूसरीबातजोमेरेदेखनेमेंआई, उसकीतोमुझेजराभीउम्मीदनथी।आजसुबहमैंमालवीयजीमहाराजकेदर्शनोंकोगयाथा।वसन्तपंचमीकाअवसरथा, इसलिएसबविद्यार्थीभीवहाँउनकेदर्शनोंकोआयेथे।मैंनेउसवक्तभीदेखाकिविद्यार्थियोंकोजोतालीममिलनीचाहिए,वह उन्हें नहीं मिलती। जिस सभ्यता, कह्मोशी और तरकीब के साथ उन्हें चलते आना चाहिए, उसतरहचलनाउन्होंनेसीखाहीनहींथा।यहकोईमुश्किलकामनहीं, कुछहीसमयमेंसीखाजासकताहै।सिपाहीजबचलतेहैं, तोसिरउठाये, सीनाताने, तीरकीतरहसीधेचलतेहैं, लेकिनविद्यार्थीतोउसवक्तआड़े-टेढ़े, आगेपीछे, जैसाजिसकादिलचाहताथा, चलतेथे।उनकेइस‘चलने’कोचलनाकहनाभीशायदमुनासिबनहो, मेरीसमझमेंतोइसकाकारणभीयहीहैकिहमारेविद्यार्थियोपरअंग्रेजीजबानकाबोझइतनापड़जाताहै, किउन्हेंदूसरीतरफसरउठाकरदेखनेकीफुरसतनहींमिलती।यहीवजहहैकिदरअसलउन्हेंजोसीखनाचाहिए, वेसीखनहींपाते।
बौद्धिकथकान
एकऔरबातमैंनेदेखी।आजसुबहहमश्रीशिवप्रसादगुप्तकेघरसेलौटरहेथे।रास्तेमेंविश्वविद्यालयकाविशालप्रवेशद्वारापड़ा।उसपरनजरगईतोदेखा, नागरीलिपिमें‘हिन्दूविश्वविद्यालयइतनेछोटेहरुफोंमेंलिखाहैकिऐनकलगानेपरभीनहींपढ़पातेपरअंग्रेजीBanaras Hindu Universityनेतीनचौथाईसेभीज्यादाजगहघेररखीथी।मैंहैरानहुआकियहक्यामामलाहै? इसमेंमालवीयजीमहाराजकाकोईकसूरनही।यहतोकिसीइन्जीनियरकाकामहोगा।लेकिनसवालतोयहहैकिअंग्रेजीकीवहाँजरूरतहीक्याथी? क्याहिन्दीयाफारसीमेंकुछनहींलिखाजासकताथा? क्यामालवीयजी, औरक्यासरराधाकृष्णनसभीहिन्दू-मुस्लिमएकताचाहतेहैं।फारसीमुसलमानोंकीअपनी ख़ासलिपि माने जाने लगी है । उर्दू का देश में अपना ख़ास स्थान है । इसलिए अगर दरवाजे पर फारसी में, नागरीमेंयाहिन्दुस्तानकीदूसरीकिसीलिपिमेंकुछलिखाजाता, तोमैंउसेसमझसकताथा।लेकिनअंग्रेजीमेंउसकावहाँलिखाजानाभीहमपरजमेहुएअंग्रेजीजबानकेसाम्राज्यकाएकसबूतहै।किसीनईलिपियाजबानको सीखने से हम घबराते हैं, जब कि सच तो यह है कि हिन्दुस्तान की किसी जबान या लिपि कोसीखनाहमारेलिएबायेंहाथकाखेलहोनाचाहिए।जिसेहिन्दीयाहिन्दुस्तानीआतीहै, उसेमराठी, गुजराती, बंगालीवगैरासीखनेमेंतकलीफहीक्याहोसकतीहै? कन्नड़, तमिल, तैलगूऔरमलयालमकाभीमेरातोयहीतजुरबाहै।इनमेंभीसंस्कृतसेनिकलेहुएकाफीशब्दभरेपड़ेहैं।जबहममेअपनीमादरीजबानयामातृभाषाकेलिएसच्चीमुहब्बतपैदाहोजायेगीतोहमइनतमामभाषाओंकोबड़ीआसानीसेसीखसकेंगे।रहीबातउर्दूकी, सोवहभीआसानीकेसाथसीखीजासकतीहै।लेकिनबदकिस्मतीसेउर्दूसेआलिमयानीविद्वान्इधरउसमेंअरबीऔरफारसीकेशब्दभररहेहैं।नतीजाठूँस-ठूँसकरभरनेलगेहैं- उसीतरह, जिसतरहहिन्दीकेविद्वानहिन्दीमेंसंस्कृतशब्द।इसकायहहोताहैकिजबमुझजैसेआदमीकेसामनेकईलखनवीतर्जकीउर्दूबोलनेलगताहै, तोसिवाबोलनेवालेकामुँहताकनेकेऔरकोईचारानहींरहजाता।
इसमेंशकनहींकिआपकेविद्यालयकोकाफीधनमिलगयाहै, आगेभीमिलारहेगा, लेकिनमैंनेजोकुछकहाहै, वहरुपयेकोखेलनहीं।अकेलारुपयासबकामनहींकरसकता।हिन्दूविश्वविद्यालयसेमैंविशेषआशातोइसबातकीरखूँगाकियहाँवालेइसदेशमेंबसेहुएसभीलोगोंकोहिन्दुस्तानीसमझें, औरअपनेमुसलमानभाइयोंकोअपनानेमेंकिसीसेपीछेनरहें।अगरवेआपकेपासनआयें, तोआपउनकेपासजाकरउन्हेंअपनाइए।अगरइसमेंहमनाकामयाबभीहुएतोक्याहुआ? लोकमान्यतिलककेहिसाबसेहमारीसभ्यतादसहजारबरसपुरानीहै।बादकेकईपुरातत्वशास्त्रियोंनेइसेउससेभीपरानीबतायाहै।इससभ्यतामेंअहिंसाकोपरमधर्ममानागयाहै।चुनांचेइसकाकमसेकमएकनतीजातोयहहोनाचाहिएकिहमकिसीकोअपानादुश्मननसमझें।वेदोंकेसमयसेहमारीयहसभ्यताचलीआरहीहै।जिसतहरगंगाजीमेंअनेकनदियाँआकरमिलीहैं, उसी तरह इस देशी संस्कृत-गंगा में भी अनेक संस्कृतिरुपी सहयक नदियाँ आकर मिली हैं।यदिइनसबकाकोईसन्देशयापैगामहमारेलिएहोसकताहैतोयहीकिहमसारीदुनियाँकोअपनायेंऔरकिसीकोअपनादुश्मननसमझें।मैंईश्वरसेप्रार्थनाकरताहूँकि वहहिन्दूविश्वविद्यालयकोयहसबकरनेकीशक्तिदे।यहीइसकीविशेषताहोसकतीहै।सिर्फअंग्रेजीसीखनेसेयहकामनहींहोपायेगा।इसकेलिएतोहमेंअपनेप्राचीनग्रन्थोंऔरधर्मशास्त्रोंकाश्रद्धापूर्वकयर्थाथअध्ययनकरनाहोगा, औरयहअध्ययनहममूलग्रन्थोंसेसहारेहीकरसकतेहैं।